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प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा
भारतीय संविधान : प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा(1901-1966) भारतीय संविधान को अपने हाथों से लिखने वाले महान और प्रसिद्ध सुलेखक थे। जबकि संविधान का मसौदा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने तैयार किया था, इसे सुलेख में लिपिबद्ध करने का कार्य रायज़ादा ने किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक कार्य के लिए कोई शुल्क नहीं लिया, बल्कि एक शर्त रखी कि संविधान के प्रत्येक पन्ने पर उनका नाम और अंतिम पन्ने पर उनके और उनके दादाजी का नाम अंकित किया जाएगा। यही कारण है कि भारतीय संविधान के हर पृष्ठ पर उनका नाम दर्ज है, जो उनके योगदान की अमर छवि को दर्शाता है।
1940 के दशक के अंत में, जब भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा को संविधान की मौलिक प्रति को हाथ से लिखने की जिम्मेदारी सौंपी। रायज़ादा ने अपनी अद्वितीय सुलेख शैली से इस कार्य को पूरा किया, जिससे संविधान का हर पृष्ठ एक कलात्मक और ऐतिहासिक दस्तावेज़ बन गया।
रायज़ादा ने भारतीय संविधान के मूल दस्तावेज़ को प्रवाहपूर्ण इटैलिक शैली में लिखा, जबकि हिंदी संस्करण का सुलेखन वसंत कृष्ण वैद्य ने किया। उन्होंने कॉन्स्टिट्यूशन हॉल (अब कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया) के एक कमरे में काम करते हुए इस दस्तावेज़ को तैयार किया। छह महीने की मेहनत से उन्होंने 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और प्रस्तावना को सुलेख में लिखा। इस दौरान सैकड़ों पेन निबों का उपयोग करते हुए उन्होंने अपनी बहती हुई सुलेख शैली से संविधान को अद्वितीय रूप दिया।
26 नवंबर 1949 को संविधान का यह हस्तलेख तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को इस पर हस्ताक्षर किए गए। 251 पृष्ठों और 3.75 किलोग्राम वजनी इस दस्तावेज़ ने भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य की नींव रखी। रायज़ादा की कलात्मकता और योगदान भारतीय इतिहास में अमूल्य हैं और वे भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण पहचान बने रहेंगे।
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