
Sitapur Murder Case
Sitapur Murder Case
कुलदीप राठौर ,सीतापुर उत्तर प्रदेश
Sitapur Murder Case : सीतापुर के थाना रामपुर मथुरा क्षेत्र पाल्हापुर गांव के एक ही परिवार के छह सदस्यों की हत्या प्रकरण का गुरुवार को पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पुलिस महानिरीक्षक तरुण गाबा ने पुलिस लाइंस सभागार में बताया कि संपत्ति के बंटवारे और किसान क्रेडिट कार्ड के बकाया 35 लाख रुपये जमा करने के विवाद में अजीत ने ही मां, भाई सहित परिवार के छह सदस्यों की हत्या की थी।
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Sitapur Murder Case : दस मई की रात पाल्हापुर गांव में अनुराग, उनकी मां सावित्री देवी, पत्नी प्रियंका, बेटी आष्वी व आरना और बेटे आदविक की हत्या कर दी गई थी। लखनऊ के जानकीपुरम में रह रहीं प्रियंका वारदात वाले दिन ही बच्चों के साथ गांव आई थीं। उधर, वारदात की पुलिस की कहानी की तरह प्रकरण के अनावरण पर सवाल उठ रहे हैं।लोगों का कहना है
कि मौके के हालात देखकर नहीं लगता कि एक व्यक्ति ने ही वारदात की होगी। एक हृदय रोगी अकेले छह लोगों की हत्या कैसे कर सकता है, ऐसे कौन से साक्ष्य पुलिस के पास जो कि घटना में सिर्फ अजीत के ही होने की पुष्टि कर रहे हैं आदि सवालों का जवाब पुलिस के पास नहीं है। मृतका प्रियंका के भाई अंकित सिंह ने सवाल उठाया है
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कि पूरे परिवार हत्या में अजीत के अलावा अन्य लोग भी शामिल होंगे। उनको भी पकड़कर कार्रवाई की जानी चाहिए।कई दौर की चली पूछताछ एसपी चक्रेश मिश्र, एसटीएफ, सर्विलांस व एसओजी टीम ने कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इनमें अनुराग के ताऊ आरपी सिंह, चचेरे भाई आशुतोष सिंह, बहनोई अकलेंद्र सिंह, प्रभाकर सिंह, अमरेंद्र सिंह, सुनील कुमार, शशि भूषण सिंह,
Sitapur Murder Case
रवि भूषण सिंह, चालक सर्वेश, अजीत के ससुर अजय कुमार सिंह, साले विवेक सिंह, पत्नी विभा सिंह, उमेश सिंह सहित 16 लोगों से अलग-अलग फिर आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई। बुधवार की रात अजीत की गाड़ी को भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया था।अकेले अजीत ने ही नहीं की हत्यातका प्रियंका सिंह के भाई अंकित सिंह ने बताया कि पुलिस की जांच से वह संतुष्ट हैं।
किंतु एक ही व्यक्ति घटना को अंजाम दे सकता है, यह विश्वास नहीं होता। घटना में शामिल अन्य को भी पुलिस बेनकाब करें।यह उठ रहे सवाल एयरकंडीशन का तार कटने के बाद बच्चों के साथ सो रही प्रियंका ही बाहर आई। बच्चे नहीं जगे प्रियंका को गोली मारे जाने के बाद भी बच्चों की नींद नहीं खुली, जबकि गांव के कई लोगों ने इसकी आवाज सुनाई।
दूसरी गोली चलने के बाद भी अनुराग को नींद नहीं टूटी। तीन और गोलियां चलीं इसके बाद भी बच्चे सोते रहे। पड़ोस में रह रहे ताऊ आरपी सिंह भी बचाव के लिए नहीं आए। आखिर आशुतोष को फोन करके घटना की जानकारी किसने दी। आशुतोष ने अपने पिता आरपी सिंह के बजाय प्रभाकर को ही क्यों फोन किया। तंमचा और हथौड़ा दोनों अजीत ने ही चलाए। ऐसा कैसे संभव है।
बेटी को जगाकर नीचे अनुराग के पास क्यों ले गया अजीत? बेटी को बाहर प्रियंका का शव भी नहीं दिखावारदात को लेकर पुलिस की कहानी पर उठे थे सवाल पुलिस ने अनुराग को मानसिक मंदित किस आधार पर घोषित किया? क्या उसकी कोई मेडिकल हिस्ट्री थी आत्महत्या करने वाला खुद को दो गोली और सिर पर हथौड़ा कैसे मार सकता है?
क्या पुलिस को शव उठाते समय गोलियों और हथौड़े के निशान नहीं दिखेपोस्टमार्टम रिपोर्ट में अनुराग को अलग-अलग दूरी से गोली मारने की पुष्टि हुई। आत्महत्या करने वाला खुद को दो गोली कैसे मार सकता है। पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा के आने पर बरामद हुआ था
असलहा। दो घंटे से ढूंढ रही पुलिस को क्यों नहीं मिला तमंचा भी अनुराग से दूर था, खुद को गोली मारने वाला असलहा दूर कैसे फेंकेगा। क्या उसने असलहे के फिंगर प्रिंट जुटाए। सीओ काे अजीत के शराब पीने का अहसास होने के बाद भी नहीं लगाया गया ब्रीथ एनलाइजर
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