
Sindhu Water Agreement: पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार की अपील की, बढ़ते जल संकट को लेकर चिंता...
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Sindhu Water Agreement: पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार की अपील की, बढ़ते जल संकट को लेकर चिंता...
Sindhu Water Agreement: नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौते को ठंडे बस्ते में डालने के फैसले से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने इस फैसले को लेकर भारत से गुहार लगाई है, और इस पर पुनर्विचार करने की अपील की है। शहबाज सरकार का कहना है कि भारत का यह कदम पाकिस्तान में गंभीर जल संकट उत्पन्न कर सकता है।
Sindhu Water Agreement: पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय के सचिव देवश्री मुखर्जी को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने भारत से इस निर्णय पर पुनर्विचार की अपील की है। पाकिस्तान ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले पर बातचीत करने के लिए तैयार है। इस पत्र को नियमों के तहत पाकिस्तान ने अपने विदेश मंत्रालय के माध्यम से भी भेज दिया है।
Sindhu Water Agreement: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था, “खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते,” और भारत अब सिंधु नदी के पानी का इस्तेमाल अपने लिए करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत के पास सिंधु जल समझौते के लागू न होने की स्थिति में कई मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार हैं।
Sindhu Water Agreement: सिंधु जल समझौता: पाकिस्तान की ‘लाइफलाइन’
सिंधु जल समझौता पाकिस्तान के लिए एक अहम जीवनरेखा रहा है, जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। पाकिस्तान की आबादी, जो करीब 21 करोड़ है, उसकी अधिकांश जल आपूर्ति सिंधु और उसकी चार सहायक नदियों से होती है। इसके अलावा, पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र की अधिकांश सिंचाई सिंधु नदी से होती है।
Sindhu Water Agreement: भारत का ऐतिहासिक कदम: चिनाब और झेलम नदियों पर नियंत्रण
हालांकि, भारत ने 1965, 1971 और 1999 के युद्धों के बाद भी सिंधु जल समझौते का पालन किया था, लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ जल विवाद में बड़ा कदम उठाया है। भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के प्रवाह को रोक दिया और साथ ही झेलम नदी पर किशनगंगा परियोजना से पानी का प्रवाह भी कम कर दिया। यह कदम पाकिस्तान के लिए एक गंभीर संकेत है, क्योंकि यह सिंधु जल समझौते के निलंबन की शुरुआत हो सकता है।
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