Raipur Chhattisgarh : रायपुर : छत्तीसगढ़ के एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों ने एक ऐसा चावल तैयार किया है जो न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है बल्कि कैंसर जैसे बीमारी को भी मात देने का काम करता है..
जी हां इन कृषि वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक ज्ञान के आधार पर रिसर्च करके धान की औषधीय किस्म ‘संजीवनी’ विकसित की है
जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैंसर कोशिकाओं की रोकथाम में उपयोगी पाई गई है। संजीवनी का विकास छत्तीसगढ़ की पारंपरिक औषधीय धान की किस्मों से चयन कर किया गया है… इस धन से अच्छे किस्म का चावल तैयार किया गया है
जिसका नाम संजीवनी इंस्टेंट रखा है…इसके औषधीय गुणों के वैज्ञानिक आधार का विस्तृत विश्लेषण कर इस किस्म को तैयार किया गया है…जो केवल 10 दिन तक इसका उपयोग करने से असर दिखने लगता है..
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई के संयुक्त रूप से रिसर्च कर विशेष किस्म की धान संजीवनी तैयार किया गया है…सात साल की कड़ी मेहनत और रिसर्च के बाद इस किस्म को इजात किया गया है…
इसमें मौजूद उच्च स्तर के फाइटोकेमिकल्स के कारण ही इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैंसररोधी औषधीय गुण मिले हैं… संजीवनी धान में सामान्य धान की अपेक्षा 231 अतिरिक्त फाइटोकेमिकल्स पाए गए हैं
जिनमें से सात मेटोबोलाइट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए आवश्यक ट्रांस्क्रिप्शन फैक्टर को सक्रिय करते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बीज उपसमिति ने संजीवनी धान की किस्म की अनुशंसा की है। कृषि वैज्ञानिक दीपक शर्मा ने
बताया कि हमारे पास धान की कुल 23250 किस्म हैं जिसे हमलोहों संरक्षित की है इसी में एक किस्म का धन लाइचा है इसमें भी कई प्रकार थे इसी में से एक पारंपरिक ज्ञान के आधार पर चुनकर उसपर रिसर्च किया गया,
धान की इस किस्म के चावल का उपयोग 10 दिन तक करने के बाद ही दिखते लगता है असर चूहों पर किया गया प्रयोग रहा है सफल, औषधीय गुणों का वृहद स्तर पर किया गया है परीक्षण
Raipur Chhattisgarh
संजीवनी धान के बाद विज्ञानियों ने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में संजीवनी चावल से तीन प्रोटोटाइप उत्पाद तैयार किए गए हैं, जिनमें संजीवनी इंस्टेंट, संजीवनी मधु कल्क और संजीवनी राइस बार शामिल
हैं… संजीवनी इंस्टेंट एक प्रकार का बना हुआ चावल है जिसे गर्म पानी में दो चम्मच डालकर 10 मिनट के लिए ढंककर छोड़ देने के बाद पानी
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छानकर चावल में दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-सुबह खाया जाता है…वहीं संजीवनी मधु कल्कऔर सांजीवनी राइस बार का भी उपयोग बताया…
सात साल में लगभग 8 करोड़ खर्च कर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और रिसर्चर ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के सहयोग से किए गए शोध के
अनुसार संजीवनी चावल मानव स्तन कैंसर, फेफड़ों के कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं के विरुद्ध शक्तिशाली कैंसररोधी गुण प्रदर्शित करता है।
संजीवनी चावल मानव स्तर कैंसर कोशिका और मानव कोलोरेक्टल कैंसर कोशिका का शक्तिशाली अवरोधक है। इस परिणाम की पुष्टि के लिए स्तन कैंसर कोशिका के
साथ चूहों पर अध्ययन किया गया, जिसमें संजीवनी ब्राउन राइस के सेवन से चूहों में स्तन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि अवरुद्ध हो गई।
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ व टाटा मेमोरियल मुंबई द्वारा किए गए स्वतंत्र अध्ययनों में संजीवनी चावल में प्रारंभिक तौर पर मानव स्तन कैंसर कोशिका के विरुद्ध कैंसर अवरोधी गुण देखे गए हैं…
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