
CG High Court
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में लेक्चरर से प्राचार्य पद पर पदोन्नति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में B.Ed डिग्री की अनिवार्यता को लेकर मंगलवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और सभी पक्षकारों को आवश्यक दस्तावेज और जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता व्याख्याता अखिलेश कुमार त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि लेक्चरर से प्राचार्य बनने के लिए B.Ed डिग्री को अनिवार्य किया जाए। उनका तर्क है कि प्राचार्य एक शिक्षण संस्थान का प्रमुख होता है, इसलिए इस पद के लिए शैक्षणिक योग्यताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
दूसरी ओर, प्राचार्य पदोन्नति फोरम की ओर से व्याख्याता लूनकरण ठाकुर ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि प्राचार्य का पद पूरी तरह प्रशासनिक है, इसलिए B.Ed की अनिवार्यता जरूरी नहीं है।
हाईकोर्ट में क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अखिलेश त्रिपाठी की ओर से अधिवक्ता आलोक बख्शी ने अपना पक्ष रखा, वहीं शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत ठाकुर उपस्थित रहे। कोर्ट ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि वे आवश्यक जवाब और दस्तावेज जल्द से जल्द प्रस्तुत करें।
आगे क्या होगा?
इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। हाईकोर्ट का यह फैसला छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग और प्रशासनिक ढांचे पर गहरा असर डाल सकता है। यदि B.Ed डिग्री को अनिवार्य किया जाता है, तो यह हजारों लेक्चरर और प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हैं, जो इस महत्वपूर्ण मुद्दे को एक नया मोड़ दे सकता है।
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