रायपुर। तेजी से बदल रहे सामाजिक परिवेश और विमर्शों को आज की पीढ़ी के रचनाकार अपनी कहानियों में किस तरीके से उठा रहे हैं, वर्तमान के साहित्यकार किस शिद्दत के साथ इन दिनों घट रही घटनाओं को उठा रहे हैं यह सब कुछ सुनने को मिलेगा 12 से 14 अक्टूबर को हिन्दी कहानी पर केंद्रित कथा समाख्या का दसवां आयोजन कला एवं संस्कृति निदेशालय गोवा में होगा। इस बार यह कार्यक्रम प्रेम कथा और प्रेम विषयक धारणा पर एकाग्र होगा। इसके अंतर्गत प्रेम की अवधारणा, उसके मनोविज्ञान, रचनात्मक परिणति और स्वरूप तथा साहित्य में प्रेम की उपस्थिति पर चर्चा के साथ हिन्दी या हिंदीतर भारतीय भाषाओं अथवा विश्व की किसी भी भाषा की किसी प्रेम कहानी पर कवि, कथाकार तथा आलोचक विचार-विमर्श करेंगे। इसमें देश भर के कहानीकार शामिल होंगे और अपनी कहानी और विचार प्रस्तुत करेंगे।
15 से अधिक साहित्यकार होंगे शामिल
इसमें प्रख्यात कवि-आलोचक विजय कुमार (मुंबई), कथाकार-नाट्य लेखक और आलोचक हृषीकेश सुलभ (पटना), कथाकार सत्यनारायण (जोधपुर), योगेंद्र आहूजा (दिल्ली), भालचंद्र जोशी (दिल्ली), ओमा शर्मा (दिल्ली), देवेंद्र (लखनऊ), आनंद हर्षुल (रायपुर), रंगकर्मी-मीडियाकर्मी सुभाष मिश्र (रायपुर), कवि-कथाकार रामकुमार तिवारी (बिलासपुर), उषा दशोरा (जयपुर), आलोचक शम्पा शाह (भोपाल), जय प्रकाश (दुर्ग), के अलावा युवा कथाकार अक्षत पाठक (बैतूल) और ट्विंकल रक्षिता (गया) भाग लेंगे। दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी की प्रमुख साहित्यिक पत्रिका ‘कथादेश’ के सम्पादक हरिनारायण इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।
इससे पहले यहाँ हुए हैं आयोजन
इसके पूर्व कथा समाख्या के आयोजन सरगुजा (छत्तीसगढ़), बड़ौदा (गुजरतब), पुणे (महाराष्ट्र), बारनवापारा (छत्तीसगढ़), सवाई माधोपुर (राजस्थान), बरेली (उत्तर प्रदेश), बस्तर (छत्तीसगढ़), ओरछा (मध्यप्रदेश) तथा शिवरीनारायण-कोरबा (छत्तीसगढ़) में सम्पन्न हो चुके हैं। 2016 में इन आयोजनों का सिलसिला प्रारंभ हुआ था जो अनवरत जारी है। इस शृंखला में हिंदी कहानी के स्वरूप, शिल्प, कथ्यगत विविधता, नवाचार पर गम्भीर चर्चा हुई है।
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