
ISRO का SpaDeX मिशन: भारत बनाएगा अंतरिक्ष डॉकिंग का नया इतिहास....
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा से अपने स्पेडेक्स मिशन की लॉन्चिंग की है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इस मिशन के सफल होने पर, भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
स्पेडेक्स मिशन के तहत दो छोटे उपग्रहों (SDX01 और SDX02) को अंतरिक्ष में एक-दूसरे से जोड़ने और अलग करने (डॉकिंग और अनडॉकिंग) की तकनीक का परीक्षण किया जाएगा। ये उपग्रह PSLV-C60 रॉकेट से 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर लॉन्च किए जाएंगे और उनके बीच की रफ्तार लगभग 28,800 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
स्पेडेक्स मिशन को “स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट” (Space Docking Experiment) भी कहा जाता है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को एक-दूसरे से जोड़ने और फिर अलग करने की प्रक्रिया को समझना और उसे सफलतापूर्वक लागू करना है। डॉकिंग प्रक्रिया को ऐसे समझा जा सकता है, जैसे दो गाड़ियों को जोड़कर एक ट्रेन बनाई जा रही हो, जबकि अनडॉकिंग तब होती है, जब ये दोनों उपग्रह अलग होते हैं, जैसे ट्रेन के डब्बों को अलग कर दिया जाए।
यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की एक और सफलता है, बल्कि भविष्य के बड़े अंतरिक्ष प्रोजेक्ट्स, जैसे कि अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्र मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। स्पेडेक्स तकनीक का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष में घूमने वाले सैटेलाइट्स को रिसोर्सेज़ पहुंचाने, इन-ऑर्बिट फ्यूल भरने और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किया जा सकता है।
यह मिशन भारत के लिए एक तकनीकी उपलब्धि है, क्योंकि इसे अपनी तरफ से तैयार किया गया है और इसे दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों द्वारा ही हासिल किया गया है। इस मिशन से भारत की अंतरिक्ष तकनीकी क्षमता और भी मजबूत होगी।
स्पेडेक्स मिशन में शामिल प्रमुख तथ्य:
- मिशन में दो उपग्रह शामिल हैं: SDX01 (Chaser) और SDX02 (Target), जिनका कुल वजन लगभग 220 किलोग्राम है।
- उपग्रहों को 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर सर्कुलर ऑर्बिट में रखा जाएगा।
- इन उपग्रहों को अत्याधुनिक सेंसर और एल्गोरिदम की मदद से एक-दूसरे से जोड़ने और अलग करने का परीक्षण किया जाएगा।
- यह मिशन स्पेस में अगले बड़े प्रोजेक्ट्स की सफलता के लिए एक अहम कदम हो सकता है।
भारत के इस मिशन ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि अब भारत अंतरिक्ष में नई-नई तकनीकों को अपनाने में सक्षम है।