
Indian AI : भारत में जल्द आएगा पहला AI मॉडल, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी बड़ी घोषणा...
नई दिल्ली: Indian AI : केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में एक बातचीत में कहा कि भारत अगले 10 महीनों के भीतर अपना पहला आधारभूत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल पेश करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने पिछले साल करीब 10,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ एआई मिशन को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री मोदी का इस दिशा में दृष्टिकोण स्पष्ट है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन से मुलाकात की और भारत की एआई रणनीति पर चर्चा की, जिसमें भारतीय एआई मॉडल, जीपीयू, मॉडल और ऐप बनाने के बारे में विस्तार से बात की गई। इस मुलाकात की जानकारी मंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर साझा की और बताया कि यह खुशी की बात है कि सैम ऑल्टमैन भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
अश्विनी वैष्णव ने यह भी बताया कि सैम ऑल्टमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मिशन और दृष्टिकोण की सराहना की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने चंद्रयान 3 मिशन का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत ने बहुत कम लागत में चंद्रमा पर मिशन भेजा, जो अन्य देशों की तुलना में काफी किफायती था।
Indian AI : मंत्री ने यह भी कहा कि भारत को ऐसे नवाचारी एआई मॉडल बनाने की जरूरत है, जो कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाले हों। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और परिवहन जैसे क्षेत्रों में भारत के कामकाज पर जोर दिया और कहा कि भारत इन क्षेत्रों में लगातार विकास कर रहा है।
बैठक में अश्विनी वैष्णव ने स्टार्टअप समुदाय से तकनीकी समाधान को बढ़ावा देने की अपील की और बताया कि भारत एआई के लिए एक खुली प्रतियोगिता जल्द ही शुरू करेगा।
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत चीनी ‘डीपसीक’ जैसे ओपन सोर्स एआई मॉडल की मेज़बानी अपने सर्वर पर करेगा। यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब चीनी स्टार्टअप्स ने एआई के क्षेत्र में चुनौतियाँ दी हैं। उन्होंने कहा कि एआई को लेकर भारत का दृष्टिकोण काफी अनोखा होगा और भारतीय आईटी उद्योग और डेटा के विशाल सेट के कारण, एआई-आधारित उपयोगिताएं देश में बड़ी क्षमता का लाभ उठा सकती हैं।
हालांकि, अश्विनी वैष्णव ने यह भी माना कि दुनिया भर में कई देश एआई प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल बेहतर सेवा वितरण और मानवीय हस्तक्षेप को कम करने के लिए कर रहे हैं, लेकिन इसके साथ नौकरियों में कटौती का खतरा भी बना हुआ है।
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