
दिल्ली चुनाव : ऑटो ड्राइवर्स क्यों बनते हैं राजनीतिक समीकरण के अहम खिलाड़ी?....केजरीवाल के 5 गारंटी क्या कर पाएंगे कमाल
दिल्ली चुनाव : दिल्ली की सियासत में ऑटो ड्राइवर्स का खास महत्व है। राजधानी में करीब 1 लाख ऑटो ड्राइवर्स मौजूद हैं, और ये न केवल परिवहन सेवा का हिस्सा हैं बल्कि चुनावी रणनीतियों में भी अहम भूमिका निभाते हैं। अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) ने एक बार फिर इस समुदाय को साधने की कवायद तेज कर दी है। इसे पार्टी की एंटी-इनकंबेंसी खत्म करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
दिल्ली में ऑटो ड्राइवर्स की अहमियत
1. संगठित नेटवर्क
दिल्ली में एक दर्जन से अधिक ऑटो ड्राइवर्स एसोसिएशन सक्रिय हैं। इनके माध्यम से यह समुदाय एक संगठित नेटवर्क के रूप में कार्य करता है, जो किसी भी राजनीतिक दल के लिए फायदेमंद हो सकता है। सर्वे एजेंसी सीएसडीएस के मुताबिक, दिल्ली में ऑटो ड्राइवर्स और उनसे जुड़े अन्य पेशों के करीब 4% वोटर हैं, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
2. फीडबैक का मजबूत माध्यम
ऑटो ड्राइवर्स चुनावों के दौरान जनता से सीधा संपर्क बनाते हैं। वे अपनी सवारियों से मुद्दों और नेताओं पर चर्चा करते हैं और इसे राजनीतिक दलों तक पहुंचाने का काम करते हैं। यह प्रक्रिया नेताओं के लिए रणनीति तैयार करने में मददगार साबित होती है।
3. प्रचार और माहौल निर्माण
ऑटो ड्राइवर्स चुनाव प्रचार का सस्ता और प्रभावी माध्यम बनते हैं। ये अपने ऑटो पर राजनीतिक पोस्टर लगाकर पूरे शहर में घूमते हैं और जिस नेता या पार्टी के समर्थन में रहते हैं, उसकी पैरवी अपनी सवारियों से बातचीत के दौरान करते हैं। यह तरीका राजनीतिक दलों के लिए व्यापक पहुंच बनाने में मददगार होता है।
4. क्षेत्रीय प्रभाव
दिल्ली के कुछ खास इलाके, जैसे शाहदरा, पंजाबी बाग, कोंडली, सरायकाले खां, संगम विहार, और बुराड़ी की राजनीति पर ऑटो ड्राइवर्स का प्रभाव खासतौर पर देखा जाता है। ये इलाके कई बार चुनावी परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
5. बदलता सामाजिक समीकरण
1990 के दशक में दिल्ली के अधिकांश ऑटो ड्राइवर्स पंजाब से थे। लेकिन वर्तमान में बिहार और उत्तर प्रदेश से आए ड्राइवर्स की संख्या काफी बढ़ गई है। यह बदलाव राजनीतिक दलों के लिए नए समीकरण और संभावनाएं पेश करता है।
अरविंद केजरीवाल की रणनीति : और 5 गारंटी क्या है?
10 साल के कार्यकाल के बाद, अरविंद केजरीवाल सरकार पर एंटी-इनकंबेंसी का खतरा मंडरा रहा है। इसे खत्म करने के लिए हाल ही में पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे के बाद खराब प्रदर्शन वाले कई विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं।
ऑटो ड्राइवर्स को साधने की कवायद इस रणनीति का अहम हिस्सा है। इस समुदाय के समर्थन से पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, क्योंकि यह वर्ग न केवल वोट बैंक है, बल्कि चुनाव प्रचार और जनता तक पहुंचने का सशक्त माध्यम भी है।
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