Aaj Ka Panchang : आज 25 जनवरी 2025, शनिवार का दिन है और आज षट्तिला एकादशी व्रत का पावन अवसर है। यह व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है और विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। आइए जानते हैं आज के दिन का विस्तृत पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।
पंचांग विवरण:
- राष्ट्रीय मिति: माघ 05, शक संवत 1946
- विक्रम संवत: 2081
- सौर माघ मास प्रविष्टे: 12
- हिजरी कैलेंडर: रज्जब 24, हिजरी 1446
- अंग्रेजी तारीख: 25 जनवरी 2025
- सूर्य की स्थिति: उत्तरायण, दक्षिण गोल
- ऋतु: शिशिर
षट्तिला एकादशी का महत्व
षट्तिला एकादशी को “षट्तिला” नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसमें “तिल” (तिल के बीज) का विशेष महत्व है। इस दिन तिल का उपयोग दान, स्नान, हवन और भोजन में किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
नक्षत्र और तिथि
- नक्षत्र:
आज सूर्योदय से ज्येष्ठा नक्षत्र है, जो अगले दिन सुबह 08:26 बजे तक रहेगा। इसके बाद मूल नक्षत्र आरंभ होगा। - तिथि:
एकादशी तिथि रात 08:32 बजे तक है, उसके बाद द्वादशी तिथि शुरू होगी।
शुभ मुहूर्त
पूजा और धार्मिक कार्यों के लिए आज का दिन अत्यंत शुभ है। नीचे आज के प्रमुख शुभ मुहूर्त दिए गए हैं:
- षट्तिला एकादशी पूजा का समय:
प्रातः 06:30 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक शुभ माना गया है। - अभिजीत मुहूर्त:
दिन में 11:59 बजे से 12:42 बजे तक। - गोधूलि मुहूर्त:
शाम 05:50 बजे से 06:30 बजे तक।
राहुकाल का समय
आज राहुकाल प्रातः 09:00 बजे से 10:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ समय माना गया है।
व्रत विधि
षट्तिला एकादशी व्रत रखने के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:
- प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- तिल से बनी वस्तुओं का भोग लगाएं और पूजा करें।
- दिन भर व्रत रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- शाम के समय भगवान की आरती करें और तिल का दान करें।
दान का महत्व
षट्तिला एकादशी पर तिल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। तिल, अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा का दान करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
धार्मिक मान्यता
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, एक ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु की आराधना करते हुए लंबे समय तक व्रत रखा। परंतु उसने कभी अन्न या दान नहीं किया। इस कारण उसे मृत्युपरांत खाली घर में रहना पड़ा। भगवान विष्णु ने उसकी परीक्षा ली और उसे तिल का दान करने की प्रेरणा दी। तिल दान करने से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसी कथा के आधार पर षट्तिला एकादशी पर तिल का दान अनिवार्य माना गया है।
आज के इस पावन दिन पर आप भी व्रत रखें, भगवान विष्णु की पूजा करें और अपने जीवन को पुण्य और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करें।
हरि ओम!
Discover more from ASIAN NEWS BHARAT
Subscribe to get the latest posts sent to your email.