
Sawan Month 2024
Sawan Month 2024 : मंदसौर : पशुपतिनाथ मन्दिर भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के मन्दसौर जिले में स्थित एक प्राचीन मन्दिर है।
यह मन्दसौर नगर में शिवना नदी के किनारे स्थित है। पशुपतिनाथ की मूर्ति पूरे विश्व में अद्वितीय प्रतिमा है
ये प्रतिमा इस संसार की एक मात्र प्रतिमा है जिसके आठ मुख है और जो अलग-अलग मुद्रा में दिखाई देते है इस प्रतिमा की भी अपनी कहानी है !
देश का दिल कहे जाने वाला मध्यप्रदेश आस्था का बड़ा केंद्र है. मंदसौर में मौजूद भगवान भोलेनाथ का पशुपतिनाथ मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव की सबसे बड़ी अष्टमुखी प्रतिमा मौजूद है,
जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. 80 साल पहले मंदसौर की शिवना नदी में मिली यह मूर्ति दो हजार साल पुरानी बताई गई है. 7 फीट ऊंजी और ढाई मीटर गोलाकार मूर्ति मंदसौर के अलावा पूरे विश्व में कहीं नहीं है.
– सावन के महीने में मिलता है खास मौका
इस धरोहर को राज्य सरकार के पर्यटन विकास निगम ने अपने अधीन कर मंदसौर शहर को पवित्र नगरी घोषित किया है !
पुरातत्व विभाग के निर्देश के बाद मंदिर की प्रबंध समिति ने प्रतिमा पर सार्वजनिक जलाभिषेक और केमिकल युक्त पूजा सामग्री चढ़ाने पर रोक लगा दी है.
हालांकि सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं को जलाभिषेक करने की विशेष अनुमति दी जाती है. हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा पर दीपदान भी होता है. इस मौके पर
Sawan Month 2024 :
देश और दुनिया भर के श्रद्धालु हर यहां पहुंचते हैं. कार्तिक माह की पूर्णिमा पर यहां15 दिवसीय मेले आयोजन भी होता, जिसमें श्रद्धालु उत्साह के साथ शामिल होते हैं.
8 मुख वाली प्रतिमा है अद्भुत
8 मुख वाली यह प्रतिमा दो भागों में बंटी है. प्रतिमा के मुख जीवन की चारों अवस्थाओं को दर्शाते हैं. जिसे अब पुरातत्व विभाग में संरक्षित धरोहर की श्रेणी में लिया है ।
भगवान भोलेनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा
श्रद्धालुओं की सुविधाओं को किया जा रहा दुरुस्त भगवान भोलेनाथ का पशुपतिनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व होने के साथ
यह लोगों की आस्था का केंद्र भी बना हुआ है. पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को और बेहतर बनाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं ।
– मंदसौर के भगवान पशुपतिनाथ मंदिर स्थित भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा दुनिया की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा है ।एक ही पत्थर से बनी अष्ट मुखी प्रतिमा करीब साढे 7 फीट ऊंची और
ढाई मीटर गोलाकार वाली यह मूर्ति भगवान शिव की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। 80 साल पहले मंदसौर की शिवना नदी से मिली यह प्रतिमा 2000 साल से भी ज्यादा पुरानी बताई जा रही है ।
खास
– शिवना नदी में कपड़े धोते वक्त सन 1940 में शहर के उदाजी धोबी नामक व्यक्ति ने इस प्रतिमा को सबसे पहले देखा था ।इसके बाद रेत में दबी इस प्रतिमा को तत्कालीन रियासत के
नरेश जीवाजी राव सिंधिया ने नदी से बाहर निकलवाया था। नदी से बाहर निकली इस प्रतिमा के 8 मुख हैं ।दो भागों में बटी इस प्रतिमा के चार ऊपर और चार नीचे के मुख जीवन की चारों अवस्थाओं को
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दर्शाते हैं। सभी मुख के अलग-अलग दर्शन वाली इस प्रतिमा को अब पुरातत्व विभाग में संरक्षित धरोहर की श्रेणी में लिया है। इस नदी से एक और शहस्त्र शिवलिंग की प्रतिमा भी मिली थी।
जिसके बाद लिहाजा अब भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है । पुरातात्विक और धार्मिक महत्व की इस धरोहर वाले मंदिर के जीर्णोद्धार का काम भी जारी है .
उज्जैन में अक्टूबर में महाकाल महालोक का लोकार्पण हुआ था और यह इतना भव्य बना कि इसकी अलौकिक छटा की चर्चाएं देश की सीमाओं को भी पार कर गई हैं। अब तो विदेशी भी महाकाल लोक
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का दीदार करने पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक व विश्व की एकमात्र
अष्ट मुखी शिव प्रतिमा वाले श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर के आस-पास भी श्री पशुपतिनाथ महालोक की परिकल्पना आकार लेने लगी है।
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