MP News: मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी आयशा मंसूरी ने जीवन की तमाम कठिनाइयों और दो असफलताओं के बावजूद अपने तीसरे प्रयास में मध्यप्रदेश संघ लोक सेवा आयोग (MPPSC) की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। आयशा का चयन अब डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है, और उन्होंने प्रदेश में 12वीं रैंक हासिल की है।
आयशा का संघर्ष किसी भी सामान्य युवा के लिए प्रेरणादायक हो सकता है। उनके पिता एक ऑटो चालक हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी।
इसके बावजूद, आयशा ने अपनी सूझबूझ, धैर्य और कठिन परिश्रम के जरिए ना केवल खुद को बल्कि अपने परिवार का भी नाम रोशन किया है। आयशा मंसूरी की यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर मन में सच्ची ललक और संघर्ष की भावना हो, तो कोई भी कठिनाई, चाहे वह आर्थिक हो या सामाजिक, व्यक्ति के रास्ते में रुकावट नहीं डाल सकती।
संघर्षों की कहानी:
आयशा ने अपनी संघर्षों की कहानी एशियन न्यूज से खास बातचीत में साझा की। उन्होंने बताया कि अपने पहले दो प्रयासों में असफलता मिलने के बाद भी उन्होंने हार मानने का नाम नहीं लिया।
उन्होंने कहा, “पहले दो प्रयासों में जब मुझे सफलता नहीं मिली, तो काफी निराशा हुई, लेकिन मैंने खुद से यह वादा किया कि मुझे अपनी मेहनत और मेहनत से रास्ता निकालना ही है।”
आयशा के मुताबिक, उनके पास ना तो कोचिंग का खर्च था, ना ही उन्हें अतिरिक्त मदद मिल रही थी, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प और परिवार का समर्थन उन्हें निरंतर प्रेरित करता रहा। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ और पिता को दिया, जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका हौसला बढ़ाया।
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संघर्ष से सफलता की ओर:
आयशा ने अपने तीसरे प्रयास में परीक्षा की तैयारी के दौरान अपने समय का सही तरीके से प्रबंधन किया। उनका मानना है कि सही दिशा और सही समय पर मेहनत करने से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “मैंने अपने परिवार से प्रेरणा ली और समझा कि हर कठिनाई का हल होता है। बस जरूरत है तो उसे सही तरीके से देखने और अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहने की।”
आयशा की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि यदि इरादा मजबूत हो, तो कोई भी परिस्थिति व्यक्ति के रास्ते में नहीं आ सकती। उन्होंने न केवल अपनी मेहनत से MPPSC परीक्षा में सफलता हासिल की, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि आत्मविश्वास और धैर्य से बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार किया जा सकता है।
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आयशा का संदेश:
आयशा ने इस सफलता के बाद युवा पीढ़ी को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने कहा, “आपका रास्ता कितना भी कठिन हो, यदि आप मेहनत, ईमानदारी और लगन से काम करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
जो असफल होते हैं, वे कभी हार मानकर नहीं बैठते, बल्कि और कड़ी मेहनत करते हैं।”
आयशा मंसूरी की यह सफलता सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अगर व्यक्ति के पास संघर्ष करने की क्षमता हो और वह धैर्य से अपने लक्ष्य की ओर बढ़े, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।
आयशा मंसूरी की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, यह सिर्फ मेहनत और धैर्य से ही हासिल की जा सकती है।
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