
Mallikarjun Kharge
Mallikarjun Kharge : बेंगलूरु: संविधान की प्रस्तावना से “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्षता” जैसे मूलभूत शब्दों को हटाने की आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले की टिप्पणी पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बेंगलुरु में प्रेस को संबोधित करते हुए इस बयान की कड़ी निंदा की और आरएसएस पर संविधान के मूल ढांचे से छेड़छाड़ की मंशा रखने का आरोप लगाया।
Mallikarjun Kharge : संविधान देश की आत्मा है – खरगे
खरगे ने साफ कहा, “अगर संविधान के किसी भी शब्द को छूने की कोशिश की गई तो कांग्रेस अंतिम सांस तक उसका विरोध करेगी। संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है और इसके मूल मूल्यों के साथ कोई समझौता नहीं होगा।”उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा सामाजिक न्याय और समावेशिता को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। “वे मनुस्मृति के समर्थक हैं, और नहीं चाहते कि समाज के वंचित वर्ग आगे बढ़ें,” खरगे ने तीखा हमला बोला।
Mallikarjun Kharge : क्या बोले थे आरएसएस नेता होसबाले
आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने हाल ही में दिए एक बयान में कहा था कि संविधान की मूल प्रस्तावना में “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्षता” शब्द नहीं थे, और इन्हें आपातकाल के दौरान जोड़ा गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इन शब्दों को प्रस्तावना में बनाए रखने पर दोबारा विचार होना चाहिए। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है।
Mallikarjun Kharge : खरगे का पलटवार
खरगे ने आरएसएस से अपील करते हुए कहा, “अगर वास्तव में हिंदू धर्म की रक्षा करनी है तो जातीय भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ काम करें। केवल बयानबाजी से समाज नहीं बदलेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि इतने बड़े संगठन के पास संसाधन हैं तो उसे सामाजिक समानता और समरसता पर कार्य करना चाहिए, न कि भ्रम फैलाना।
Mallikarjun Kharge : राजनीतिक हलकों में नई बहस
होसबाले के बयान से एक ओर जहां आरएसएस और बीजेपी पर संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करने के आरोप लगे हैं, वहीं विपक्ष को भी केंद्र सरकार पर हमला करने का नया मौका मिल गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले समय में संवैधानिक और वैचारिक बहस को और तेज करेगा।
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