
Jayeshtha Ekadashi 2025: कब है ज्येष्ठ मास की एकादशी? जानिए सही तारीख और पूजा का समय
Jayeshtha Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। यह दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी माना गया है। ज्येष्ठ मास, जो इस वर्ष 13 मई से शुरू होकर 10 जून तक रहेगा, उसमें पड़ने वाली एकादशियों का महत्व और भी बढ़ जाता है।
Jayeshtha Ekadashi 2025: अपरा एकादशी 2025: 23 मई को
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी पापों के प्रायश्चित और आत्मशुद्धि का प्रतीक मानी जाती है। पंचांग के अनुसार, अपरा एकादशी की तिथि 23 मई 2025 को रात 1:12 बजे प्रारंभ होकर उसी दिन रात 10:29 बजे समाप्त हो जाएगी। इस दिन व्रत करने से पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट होते हैं और व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
Jayeshtha Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी 2025: 6 जून को
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है, जो वर्ष की सभी एकादशियों में सबसे कठिन और पुण्यकारी मानी जाती है। इस दिन व्रती बिना जल के उपवास रखते हैं, इसलिए इसे ‘निर्जला’ एकादशी कहा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी की तिथि 6 जून 2025 को रात 2:15 बजे प्रारंभ होकर 7 जून को सुबह 4:47 बजे समाप्त होगी। निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य फल एक साथ प्राप्त होता है।
Jayeshtha Ekadashi 2025: व्रत और पूजा का महत्व
इन दोनों एकादशियों पर भक्त उपवास रखकर भगवान विष्णु की कथा सुनते हैं, मंदिरों में दर्शन करते हैं, जरूरतमंदों को दान देते हैं और व्रत कथा का पाठ करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत रखने से जीवन के दोषों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Jayeshtha Ekadashi 2025: इस प्रकार, अपरा और निर्जला एकादशी न केवल आध्यात्मिक साधना के अवसर होते हैं, बल्कि यह जीवन में संयम, अनुशासन और भक्ति को भी सुदृढ़ करते हैं। भक्तजन अभी से इन तिथियों की तैयारी में लग सकते हैं ताकि व्रत को विधिपूर्वक और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जा सके।
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