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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में चीन ने बड़ा कदम उठाया है और अब वह इस दुनिया पर राज करने की योजना बना रहा है। ओपनएआई के ChatGPT, गूगल के Gemini और एलन मस्क के Grok जैसे AI मॉड्यूल्स पहले से ही एआई बाजार में प्रमुख हैं, लेकिन चीन अब इन सभी को चुनौती देने के लिए तैयार है।
चीन ने AI के क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए एक रणनीति तैयार की है। इसके तहत चीन की कंपनियां ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं, जिससे वह दुनिया भर में अपने AI मॉड्यूल्स को पॉपुलर बना सकें। चीन का लक्ष्य है कि वह ऐसे सुपर-फास्ट सॉफ़्टवेयर और चिप्स तैयार करें जो बड़े डेटा को आसानी से संभाल सकें।
इसके अलावा, चीन की कंपनियां ओपन एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) पर आधारित AI मॉडल्स डेवलप कर रही हैं, जो AI के मॉड्यूल्स को और भी स्मार्ट और एफिशियंट बना सकें। सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, चीन इन मॉड्यूल्स को मुफ्त में उपलब्ध करवा रहा है, ताकि दुनियाभर के डेवलपर्स उनका उपयोग कर सकें। इन मॉड्यूल्स का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति AI चैटबॉट्स और अन्य एप्प्स बना सकता है, और इसके लिए किसी तरह की लाइसेंसिंग की जरूरत नहीं है।
चीन का यह कदम ओपनएआई और गूगल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को सीधी चुनौती देने वाला है। हालांकि, अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर और टेक्नोलॉजी विवाद को देखते हुए यह देखा जाएगा कि चीन के इन कदमों से वैश्विक टेक्नोलॉजी उद्योग पर क्या असर पड़ेगा।
इस नई रणनीति के जरिए चीन का उद्देश्य AI की दुनिया में अपना दबदबा कायम करना और अपने मॉड्यूल्स को वैश्विक बाजार में प्रभावी तरीके से पेश करना है।
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