
छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में 8 से 10 दिसंबर तक बलौदा बाजार जिले के सोनाखान में तीन दिवसीय भव्य आयोजन किया जाएगा। इस ऐतिहासिक आयोजन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। सीएम साय इस दौरान सोनाखान में विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे।
वीर नारायण सिंह: संघर्ष और शहादत की कहानी
- जन्म: 1795, सोनाखान (जमींदार परिवार)
- संघर्ष:
- 1856 के अकाल के समय साहूकारों से अनाज छीनकर जरूरतमंदों में बांटा।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जेल से भागकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया।
- किसानों और आदिवासियों को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी।
- शहादत: 10 दिसंबर, 1857 को रायपुर के जय स्तंभ चौक पर फांसी दी गई।
सोनाखान का महत्व
वीर नारायण सिंह का संघर्ष सोनाखान से शुरू हुआ। यह स्थान उनकी शहादत और वीरता का प्रतीक है। हर साल यहां शहादत दिवस पर विशेष आयोजन होते हैं।
आयोजन की मुख्य बातें
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: छत्तीसगढ़ के पारंपरिक नृत्य, संगीत, और लोक कला का प्रदर्शन।
- विभागीय स्टॉल: सरकारी योजनाओं की जानकारी और लोगों की समस्याओं का समाधान।
- विशेष आकर्षण: वीर नारायण सिंह के जीवन और संघर्ष को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम।
- जनभागीदारी: आयोजन में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे।
अंग्रेजों के खिलाफ वीरता का प्रतीक
वीर नारायण सिंह ने जीते जी ब्रिटिश हुकूमत को स्वीकार नहीं किया। उन्हें अंग्रेजों ने 2 दिसंबर, 1857 को गिरफ्तार किया और राजद्रोह का आरोप लगाकर 10 दिसंबर को फांसी की सजा सुनाई।
- उन्हें 6 दिनों तक फांसी पर लटकाए रखा गया।
- इसके बाद भी अंग्रेजों की तसल्ली नहीं हुई तो तोप से उड़ा दिया।
वीरता और शहादत का स्मारक
यह आयोजन न केवल वीर नारायण सिंह की वीरता को सम्मानित करेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक समृद्धि और इतिहास को भी प्रदर्शित करेगा।
सोनाखान का यह आयोजन इतिहास के प्रति नई पीढ़ी में जागरूकता पैदा करने का प्रयास है।