इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में हुई फर्जीवाड़े में आया नया मोड़

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में हुई फर्जीवाड़े में आया नया मोड़

रायपुर : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में हुई फर्जीवाड़े में एक नया मोड़ सामने आया है…दरअसल कुछ दिन पहले इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर पद के लिए भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई है… जिसमें सहायक प्रोफेसर भर्ती के लिए 26 अभ्यर्थियों की सूची वायरल हुई थी…

उसमें से 20 अभ्यर्थियों का चयन हो गया है…इस फर्जीवाड़े का एशियन न्यूज ने प्रमुखता से खबर दिखाया था…इसके बाद विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारी जो बचते फिर रहे थे वो सामने आ गए हैं…बजाप्ता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरीश चंदेल सामने आ गए हैं उन्होंने एशियन से खास बातचीत की है और इस मामले पर जानकारी दी है।आपको बता दें वायर सूची एक कैंडिडेट से 20 से 30 लाख लेन देन का भी जिक्र है….

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़े की फेरहिश्त काफी लंबी है…लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में वर्तमान में लोगों के बीच चर्चा का विषय है… इसमें न केवल पैसे की लेनदेन सामने आए हैं बल्कि विश्वविद्यालय में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी के करीबियों को नौकरी देने की भी बात कही गई है दरअसल 29 सहायक प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करके ज्वॉइनिंग तो करा दी गई…

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय फर्जीवाड़ा

लेकिन विश्वविद्यालय में संभावित 26 सहायक प्रोफेसरों की लाखों रुपए के लेन देन की एक सूची सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से वायरल हुई… जिसमें से 20 उम्मीदवारों का चयन भी बतौर अस्सिस्टेंट प्रोफेसर्स हो गया… इस स्थिति में ये तो निश्चित है कि सहायक प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया में एक- एक अभ्यर्थी से लाखों रुपए का लेन देन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ झाला को लेकर जब हमारे संवाददाता ने कुलपति डॉक्टर गिरीश चंदेल से बात की उन्होंने क्या कहा ये भी सुनवाएंगे…लेकिन वे भी इस मामले पर लीपापोती करते नजर आए… उन्होंने कहा कि यह बहुत पारदर्शिता के साथ भर्ती प्रक्रिया हुई है… इस मामले में किसी ने शरारत की है और विश्वविद्यालय के नाम को बदनाम करने की कोशिश की है…

चौकाने वाली बात ये है लिस्ट वायरल हुए इतने दिन हो गए हैं इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन केवल यह कह रही है कि हमने इसका रिपोर्ट थाने में और साइबर सेल में करवा दी है लेकिन उसका रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है वही जब हमारे संवाददाता ने मंत्री कृषि मंत्री द्वारा तलब किए जाने की सवाल की तो उन्होंने इससे नकार दिया..…

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यूं तो छत्तीसगढ़ के इकलौते कृषि विश्वविद्यालय में अनियमितता और फर्जीवाड़े की फेहरिस्त लंबी है जो अभी तक फाइलों में बंद है ऐसे मैं सवाल यह उठता है कि यह भी मामला क्या फाइलों में बंद होकर रह जाएगी सवाल यह भी है कि उठता है कि कब तक इसकी रिपोर्ट आती है और इसके कसूरवार पर करवाई होती है…


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