
Mahakumbh 2025: जया किशोरी ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी...
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर महाकुंभ 2025 का भव्य आरंभ हो गया है। शाही स्नान के साथ शुरू हुए इस ऐतिहासिक आयोजन में कथा वाचक जया किशोरी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जया किशोरी ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए युवाओं को भक्ति और धर्म से जोड़ने का संदेश दिया।
जया किशोरी का संदेश
महाकुंभ में स्नान के बाद जया किशोरी ने कहा, “यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं पहली बार महाकुंभ में स्नान के लिए आई हूं। हमारा यह आयोजन भारतीय संस्कृति, धर्म और संस्कारों का प्रतीक है, जो युवाओं को भगवान और भक्ति की ओर आकर्षित करता है। मैं चाहती हूं कि देश का हर व्यक्ति इस अद्भुत आयोजन का हिस्सा बने।”
शाही स्नान का शुभारंभ
महाकुंभ के पहले दिन शाही स्नान का शुभारंभ हुआ। पंचायती निर्वाणी अखाड़े के संतों ने सुबह 6:15 बजे अमृत स्नान किया। इसके बाद:
- सुबह 7:05 बजे श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और श्री पंचायती अखाड़ा आनंद ने स्नान किया।
- सुबह 8 बजे श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंचाग्नि अखाड़ा और श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा ने स्नान किया।
हाथों में त्रिशूल, तलवार और डमरू लेकर निकले नागा साधुओं का घाट पर मौजूद लाखों श्रद्धालुओं ने स्वागत किया। “हर-हर महादेव” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा।
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति
महाकुंभ के पहले दिन श्रद्धालुओं का जनसैलाब देखने को मिला। सुबह 10 बजे तक संगम में लगभग 1.38 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ के इस पहले अमृत स्नान के दौरान लाखों साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।
अखाड़ों की विशेष उपस्थिति
अखाड़ों के संत और नागा साधुओं की उपस्थिति ने महाकुंभ को और भी भव्य बना दिया। उनके अनुष्ठान, शाही स्नान और परंपरागत वेशभूषा ने इस आयोजन में धार्मिक और सांस्कृतिक रंग भर दिए।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ 2025 न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए भारतीय संस्कृति और धर्म का जीवंत उदाहरण है। यह आयोजन आस्था, सेवा और परंपरा का संगम है, जहां करोड़ों श्रद्धालु अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ते हैं।
महाकुंभ 2025 का शुभारंभ आस्था, भक्ति और उल्लास के साथ हुआ। जया किशोरी जैसे प्रख्यात धर्मगुरुओं की उपस्थिति और संतों के अनुष्ठानों ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया। यह आयोजन भारत की समृद्ध संस्कृति और आध्यात्मिकता का परिचायक है, जो हर किसी को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।
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