
स्वामी विवेकानंद क्यों आये थे रायपुर : किस वाहन की सवारी कर पहुंचा था परिवार
रायपुर। स्वामी विवेकानंद क्यों आये थे रायपुर : आज स्वामी विवेकानंद की 162 वीं जयंती है। छत्तीसगढ़ के रायपुर से उनका गहरा सम्बन्ध है। स्वामी विवेकानंद क्यों आये थे रायपुर ? जब वे यहां आये थे तो उनकी उम्र कितनी थी ? रायपुर में कहां रहता था स्वामी विवेकानंद का परिवार ? सब कुछ आपको बताएंगे, बस आप बने रहिए एशियन न्यूज़ भारत के साथ –
स्वामी विवेकानंद क्यों आये थे रायपुर : जरूर जानें
दरअसल रायपुर में स्वामी विवेकानंद ने सन 1877 से 1879 के बीच अपना बचपन गुजारा था। यही कारण है कि रायपुर का एयरपोर्ट हो या फिर सबसे बड़ा तालाब यह विवेकानंद के नाम पर किए जाने के पीछे की यही असली वजह है। सन् 1877 ई. में स्वामी विवेकानंद रायपुर आये । बूढ़ापारा के एक मकान में उनके पिता जी रहा करते थे। जब वे यहां आए थे तब उनकी आयु 14 वर्ष की थी।
कैसे कोलकाता से पहुंचे थे रायपुर
यहां वे मेट्रोपोलिटन विद्यालय की तीसरी श्रेणी (आज की आठवीं कक्षा के समकक्ष) में पढ़ रहे थे । उनके पिता विश्वनाथ दत्त अपने काम की वजह से तब रायपुर में ही निवास करते थे । विवेकानंद अपने छोटे भाई महेन्द्र, बहन जोगेन्द्रबाला तथा माता भुवनेश्वरी देवी के साथ कलकत्ता से रायपुर के लिये प्रस्थान किया । उस जमाने में ट्रेन की सुविधा रायपुर तक नहीं थी। ऐसा बताया जाता है कि तब वह जबलपुर तक ट्रेन से आए थे , इसके बाद रायपुर बैलगाड़ी से आए। इस यात्रा में कुल 15 दिनों का वक्त लगा था ।
रायपुर में स्वामी विवेकानंद ने क्या -क्या सीखा
लोग बताते हैं कि रायपुर में स्वामी विवेकानंद ने यह सीखा विवेकानंद अपने पिता के साथ रायपुर के भवन में खाना भी पकाया करते थे। रायपुर में उन्होंने शतरंज खेलना भी सीख लिया था , उसके बाद यहीं विश्वनाथ बाबू ने विवेकानंद को संगीत की पहली शिक्षा दी । विवेकानंद को संगीत विरासत में मिली थी।
उनके पिता भी एक बेहतरीन कलाकार थे। यही वजह थी कि आए दिन शाम के वक्त यहां संगीत के रियाज से गलियां गूंजा करती थीं। विवेकानंद आगे चलकर अच्छे गायक भी बने।
वो उपहार जो पिता जी से मिला
तकरीबन डेढ़ साल रायपुर में रहकर विश्वनाथ दत्त सपरिवार कलकत्ता वापस लौट गए । लंबे अरसे तक स्कूल नहीं जाने की वजह से शिक्षकों ने विवेकानंद को पहले तो स्कूल में प्रवेश नहीं दिया। वे कुछ समय तक इस घटना से वह निराश रहे, लेकिन बाद में उन्हें विशेष आग्रह पर स्कूल में दाखिला मिला।
उन्होंने स्कूल में परीक्षा न सिर्फ पास की बल्कि स्कूल में टॉप किया था। इस पर स्वामी विवेकानंद के पिता ने उन्हें तोहफे में उस जमाने में चांदी की घड़ी दी थी। तो ये था स्वामी विवेकानंद का रायपुर से रिश्ता, हमारा ये आलेख आपको कैसा लगा अपनी राय जरूर दीजिएगा।