
US exemption on electronics goods gives India
US exemption on electronics goods gives India: नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर आयात शुल्क (टैरिफ) से छूट देने का अहम फैसला लिया है। इस निर्णय का उद्योग विशेषज्ञों और व्यापारिक नेताओं ने स्वागत किया है, क्योंकि इससे भारत को वैश्विक स्तर पर, खासकर चीन के मुकाबले, प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलने की संभावना है।
US exemption on electronics goods gives India: अमेरिकी सीमा शुल्क विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसे उत्पादों पर 10 प्रतिशत वैश्विक टैरिफ और चीन पर लगने वाले 145 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ से भारत को छूट मिली है। हालांकि चीन में निर्मित आईफोन, लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टवॉच पर अब भी 20 प्रतिशत शुल्क लागू रहेगा। वहीं भारत और वियतनाम से अमेरिका को निर्यात होने वाले इन उत्पादों पर कोई टैरिफ नहीं लगाया जाएगा। इसका मतलब है कि भारत और वियतनाम को चीन की तुलना में सीधे 20% का लाभ मिलेगा।
US exemption on electronics goods gives India: भारत के लिए सुनहरा मौका
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने इस निर्णय को भारत के लिए एक सुनहरा अवसर बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला भारत को चीन के मुकाबले दीर्घकालिक लाभ देगा और देश के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
US exemption on electronics goods gives India: टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को राहत
साइबर मीडिया रिसर्च के प्रभु राम ने कहा कि यह छूट खासकर एप्पल और चिप निर्माण उद्योग के लिए बड़ी राहत बनकर आई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर अस्थिरता अभी भी बनी रहेगी।
US exemption on electronics goods gives India: 5 अप्रैल से लागू, भारत के लिए तैयारी का वक्त
यह टैरिफ छूट 5 अप्रैल से पहले अमेरिका पहुंचने वाले या गोदामों से डिस्पैच होने वाले उत्पादों पर लागू की गई है, जिसमें सेमीकंडक्टर, सोलर सेल और मेमोरी कार्ड जैसे अहम इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद भी शामिल हैं।
US exemption on electronics goods gives India: नीतिगत मजबूती की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए अपनी व्यापारिक नीतियों को और मजबूत करना होगा और घरेलू उद्योग को भी अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना होगा, जिससे वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति और अधिक सुदृढ़ हो सके।
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