छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ की संस्कृति में लोकगीत और लोकनृत्य का विशेष स्थान है। यहाँ की माटी में बसे इन गीतों और नृत्यों में जनजीवन की भावनाएँ, परंपराएँ, और सामाजिक मान्यताएँ रची-बसी हैं। छत्तीसगढ़ के लोकगीत और नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि ये सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का माध्यम भी हैं।
लोकगीत: छत्तीसगढ़ का संगीतात्मक हृदय
छत्तीसगढ़ के लोकगीत अपनी सादगी, भाव प्रवणता और विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। ये गीत छोटी-छोटी पंक्तियों में गेय होते हैं, और इनमें छत्तीसगढ़ के लोकजीवन की झलक मिलती है। छत्तीसगढ़ के लोकगीतों में प्रकृति, प्रेम, सामाजिक संघर्ष, त्योहारों, और धार्मिक मान्यताओं का उल्लेख होता है। प्रमुख लोकगीतों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- भोजली गीत
भोजली गीत श्रावण माह में गाए जाते हैं। ये गीत प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि की कामना से जुड़े होते हैं। - पंडवानी
पंडवानी महाभारत की कहानियों पर आधारित गाथा गीत है। इसे गाते समय कलाकार महाभारत के पात्रों का अभिनय भी करते हैं। तीज-त्योहारों और विशेष अवसरों पर इसका आयोजन होता है। - जस गीत
जस गीत देवी-देवताओं की स्तुति के लिए गाए जाते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि में ये गीत सुनने को मिलते हैं। - भरथरी लोकगाथा
भरथरी लोकगाथा राजा भरथरी की कथा पर आधारित है। इसमें प्रेम, त्याग, और बलिदान की कहानियाँ सुनाई जाती हैं। - सुआ गीत
सुआ गीत महिलाओं द्वारा गाए जाते हैं। ये गीत नृत्य के साथ प्रस्तुत किए जाते हैं, जिसमें महिलाएँ सुआ पक्षी (तोता) की नकल करती हैं। - करमा गीत
करमा गीत करमा त्योहार के दौरान गाया जाता है। इसमें करमा देवता की स्तुति की जाती है। करमा नृत्य के साथ इन गीतों की प्रस्तुति अद्भुत होती है। - गऊरा गऊरी गीत
गऊरा गऊरी गीत शिव-पार्वती की पूजा के दौरान गाए जाते हैं। ये गीत विवाह और त्योहारों पर विशेष रूप से गाए जाते हैं। - पंथी गीत
पंथी गीत सतनाम पंथ के अनुयायियों द्वारा गाए जाते हैं। ये गीत धार्मिक भक्ति और आस्था को प्रकट करते हैं।
छत्तीसगढ़
लोकनृत्य: छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धड़कन
लोकगीतों की तरह छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य भी यहाँ की संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। ये नृत्य सामूहिकता, सामाजिक एकता, और प्रकृति के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकनृत्य इस प्रकार हैं:
- सुआ नृत्य
सुआ नृत्य विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसमें महिलाएँ वृत्ताकार में नाचते हुए सुआ गीत गाती हैं। - करमा नृत्य
करमा नृत्य आदिवासी समुदाय का प्रमुख नृत्य है। यह करमा पर्व के अवसर पर किया जाता है। इसमें करमा गीत गाए जाते हैं और ढोलक, मंजीरा जैसे वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है। - पंथी नृत्य
पंथी नृत्य सतनाम पंथ के अनुयायियों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। - डंडा नृत्य
डंडा नृत्य छत्तीसगढ़ का एक ऊर्जावान नृत्य है, जिसमें पुरुष समूह में डंडे के साथ नृत्य करते हैं। - राउत नाचा
राउत नाचा गोवर्धन पूजा और दीपावली के अवसर पर गाया और नाचा जाता है। यह नृत्य ग्वाला समुदाय का विशेष नृत्य है। - ददरिया नृत्य
ददरिया नृत्य प्रेम और सौंदर्य को प्रदर्शित करता है। यह मुख्य रूप से युवा वर्ग के बीच लोकप्रिय है।
लोकगीत और नृत्य का महत्त्व
छत्तीसगढ़ के लोकगीत और नृत्य केवल मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि ये सामाजिक संदेश देने का माध्यम भी हैं। इनमें प्रेम, करुणा, प्रकृति के प्रति सम्मान और सामाजिक एकता के संदेश निहित होते हैं। ये गीत और नृत्य यहाँ के जनजीवन का आईना हैं और इन्हें संरक्षित करना हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
Discover more from ASIAN NEWS BHARAT
Subscribe to get the latest posts sent to your email.