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नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के लिए मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (MRSAM) की खरीद को मंजूरी मिल गई है. रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) के साथ 2,960 करोड़ रुपए का करार किया है, जिसके तहत 3.5 लाख मैन-डे रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इस कदम का उद्देश्य देश की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करना और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति करना है.
यह करार नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में हुआ. इस एमआरएसएएम प्रणाली को भारतीय नौसेना के कई जहाजों पर लगाया जाएगा, और भविष्य में इसे अधिक प्लेटफार्मों पर फिट करने की योजना है. यह भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने और उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है.
एमआरएसएएम प्रणाली क्या है? इस समझौते के तहत भारत डायनामिक्स लिमिटेड स्वदेशी मिसाइलों की आपूर्ति करेगा, जिसमें अधिकांश सामग्री भारतीय होगी. इस परियोजना से रक्षा क्षेत्र में 3.5 लाख मैन-डे रोजगार सृजित होंगे, जिनमें एमएसएमई भी शामिल हैं. यह मिसाइल दो स्टेज की होती है और लॉन्च होने के बाद कम धुआं छोड़ती है. यह 70 किलोमीटर तक किसी भी मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन या निगरानी विमान को गिराने में सक्षम है, और इसकी गति 2469.6 किलोमीटर प्रति घंटा है.
इस मिसाइल प्रणाली का वजन 275 किलोग्राम, लंबाई 4.5 मीटर और व्यास 0.45 मीटर है. यह हर मौसम में 360 डिग्री पर काम करने वाली हवाई रक्षा प्रणाली है, जो विभिन्न प्रकार के खतरों से संवेदनशील क्षेत्रों की हवाई सुरक्षा करती है.
INS ‘सूरत’ को भी मिलेगा एमआरएसएएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जनवरी को मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आईएनएस सूरत को नौसेना के बेड़े में शामिल किया. यह जहाज प्रोजेक्ट 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का चौथा और अंतिम जहाज है, जिसे अब MRSAM से लैस किया जाएगा. इसके पहले, इसी प्रोजेक्ट के तीन अन्य जहाज विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ और इम्फाल को नौसेना में शामिल किया गया था.
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