रायपुर: ओ… त्तेरी ये क्या तान दिया भाई : राजधानी से जैसे ही आप मंदिर हसौद की और बढ़ते है। अचानक एक बहुत ऊंचे से टॉवर पर एक गोल से चीज दिखाई देती है। देखते ही दिमाग में एक बारगी सवाल कौंधता है कि ओ … त्तेरी ये क्या तान दिया भाई ? आपकी जिज्ञासा तब और भी अधिक बढ़ जाती है जब आपको पता चलता है कि इसकी लागत 10 करोड़ रुपए है। दस करोड़ का गोला वो भी इतने ऊंचे टॉवर पर आखिर ये हो क्या रहा है ? तो चलिए हम इसके रहस्य से पर्दा उठाते हैं और आपको बताते हैं कि आखिर ये है क्या ?ओ… त्तेरी ये क्या तान दिया भाई : ऊंचे से टॉवर पर गोल सी मशीन…. जरूर जानें…
ओ … त्तेरी ये क्या तान दिया भाई : जानें पूरा मामला
असल में कृषि विवि परिसर लगभग दस करोड़ की लागत में से कलर डाप्लर लगाया जा रहा है। ये अगले तीन से चार महीने में तैयार हो जाएगा। उसके बाद इसे एक्टिव कर लिया जाएगा। प्रदेश के मौसम विशेषज्ञों को अभी मौसम की जानकारी मिलने आधा घंटे से अधिक का समय लगता है। इसके बाद इसकी रियल टाइम जानकारी महज 3 मिनट में मिल जाएगी।
3 सौ किलोमीटर तक देखने वाली आँख
तकनीकी जानकारों के अनुसार, ये तीस मीटर की ऊंचाई पर लगी आंख तकरीबन तीन सौ किलोमीटर के दायरे को आसानी से देख लेती है । तो वहीं मौसम विभाग के विशेषज्ञों का दावा है कि अभी मौसम को लेकर किसी भी तरह की रिपोर्ट प्राप्त करने में आधे घंटे का समय लगता है, तो वहीं इस कलर डॉप्लर राडार के शुरू होने के बाद मौसम की रियल टाइम जानकारी तीन मिनट में मिल जाएगी। इसे जल्द से जल्द प्रसारित भी किया जा सकेगा। इस राडार का वास्तविक उपयोग बारिश के मौसम में किया जा सकेगा। इससे किसी इलाके में छाने वाले बादल और उसके बरसने की स्थिति का आकलन और सटीक तरह से किया जा सकेगा। इससे बस्तर जैसे क्षेत्रों में होने वाली अतिभारी वर्षा के नुकसान को टालने में काफी मदद मिल सकेगी। हम आपको बता दें कि राडार लगाने काम अंतिम स्तर पर पहुंच चुका है। यहां इंटरनेट सहित तमाम मूलभूत सुविधाएं जुटाने का काम पूरा किया जा रहा है। इसके बाद राडार के ऑफिस में काम करने के लिए तमाम विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी।
विश्व विद्यालय के साथ कब हुआ एमओयू
हम आपको बता दें कि इस कलर डाप्लर राडार कोलगाने के लिए भारत मौसम विभाग और कृषि विवि प्रबंधन के बीच दो साल पहले एमओयू हुआ था। इसका काम धीमी शासकीय प्रक्रिया की वजह से देरी का भी शिकार हुआ। वैसे तो इसे स्थापित करने की योजना काफी पुरानी थी, मगर स्थल चयन की वजह से इसे स्थापित करने की प्रक्रिया में काफी देर भी हुई थी।
लालपुर और एयरपोर्ट में क्यों नहीं
वैसे तो भारत मौसम विज्ञान का यह कलर डॉप्लर राडार सबसे पहले लालपुर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र में लगाने की बात चली थी, मगर घनी बस्ती और पानी टंकी नजदीक होने की वजह से इसे रद्द किया गया था। उसके बाद माना एयरपोर्ट में इसे स्थापित करने का विचार शुरू किया गया। तो हवाई जहाज़ों की आवाजाही पर विपरीत प्रभाव होने के कारण से कैंसिल किया गया और तब कृषि विवि परिसर में सहमति बनी।
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