
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग
नई दिल्ली। भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग करने वाली वैश्विक कंपनियाँ सरकार से वित्तीय प्रोत्साहन की माँग कर रही हैं ताकि वे अमेरिका को निर्यात पर लगे 27% आयात शुल्क के बावजूद अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रख सकें। कंपनियों का कहना है कि यदि सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठाती, तो वे अपनी नई उत्पादन इकाइयों को उन देशों में स्थानांतरित करने पर विचार कर सकती हैं जहाँ अमेरिकी शुल्क कम हैं।
शुल्क से बढ़ रही लागत, कंपनियों की चिंता
एक प्रमुख मोबाइल कंपनी के कार्यकारी ने बताया, “भारत में घटाए गए शुल्क के बावजूद कंपोनेंट्स पर 6-8% अतिरिक्त लागत आती है। अगर कोई कंपनी 50% घरेलू बिक्री और 50% निर्यात करती है, तो इस लागत का आधा हिस्सा (2-3%) निर्यात पर भी प्रभाव डालता है, जो हमें प्रतिस्पर्धा में पीछे कर देता है। खासकर Apple जैसी कंपनियों के लिए, जो ज्यादातर फोन निर्यात करती हैं, यह नुकसान और भी बड़ा है। इसे तुरंत दूर करना जरूरी है।”
अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति
फिलहाल भारत को चीन (जहाँ अमेरिका 54% शुल्क लगाता है) और वियतनाम (46% शुल्क) की तुलना में शुल्क के मामले में फायदा है। हालाँकि, वियतनाम का व्यापार मंत्रालय अमेरिका से नए शुल्कों को रोकने और दोबारा बातचीत की माँग कर रहा है। इसके लिए वियतनाम ने अमेरिका में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बनाई है। वहीं, कंपनियाँ सऊदी अरब, यूएई, ब्राजील और सिंगापुर जैसे देशों को विकल्प के रूप में देख रही हैं, जहाँ अमेरिकी शुल्क केवल 10% है।
सऊदी, यूएई और सिंगापुर क्यों हैं आकर्षक?
एक वरिष्ठ मोबाइल कंपनी अधिकारी ने कहा, “सऊदी अरब और सिंगापुर में विश्वस्तरीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) हैं। सिंगापुर में टैक्स सिस्टम आसान है, जबकि सऊदी और यूएई में कर दर शून्य है। इसके उलट, भारत में कर व्यवस्था जटिल और महँगी है। ये देश निवेश के लिए आक्रामक प्रोत्साहन भी दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “ब्राजील में भले ही उत्पादन लागत ज्यादा हो, लेकिन वहाँ से अमेरिका को निर्यात पर भारत की तुलना में 7-8% लागत लाभ मिलेगा।”
भारत में निर्मित पारिस्थितिकी तंत्र पर सवाल
हालाँकि, सभी इस विचार से सहमत नहीं हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (EMS) कंपनी के अधिकारी ने कहा, “भारत में मोबाइल निर्माण का पूरा ढाँचा तैयार करने में 10 साल लगे हैं। सिंगापुर बहुत महँगा है, ब्राजील की लागत स्थानीय बाजार तक सीमित है, और सऊदी व यूएई में अभी मजबूत उत्पादन आधार नहीं है।” उनका मानना है कि भारत का मौजूदा ढाँचा अभी भी मजबूत है।
श्रम लागत का लाभ कितना?
कंपनियों का कहना है कि भारत में श्रम लागत का फायदा भी बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है, क्योंकि निर्यात ज्यादातर प्रीमियम और सुपर-प्रीमियम स्मार्टफोन्स का होता है। उद्योग विशेषज्ञों के मुताबिक, मोबाइल निर्माण में श्रम लागत सिर्फ 2% होती है, और महँगे फोनों (जैसे Apple iPhone, जो ₹65,000 से शुरू होता है) में यह और कम हो जाती है।
अमेरिका को निर्यात करने वाली प्रमुख कंपनियाँ
Canalys के आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका को मोबाइल निर्यात में Apple की 60% हिस्सेदारी है, Samsung की 21%, Motorola की 10%, और TCL व Google की 3-3% हिस्सेदारी है। ये सभी कंपनियाँ भारत को अपने निर्माण और निर्यात के लिए एक प्रमुख केंद्र मानती हैं। अनुमान है कि Apple और अन्य कंपनियाँ भारत से अमेरिका को लगभग 5 अरब डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात करती हैं, जिनमें ज्यादातर iPhone शामिल हैं।
कंपनियों की भारत से साझेदारी
Motorola ने Dixon के साथ साझेदारी की है और अमेरिका इसका मुख्य बाजार है।
Google ने भारत में Pixel फोन की असेंबली के लिए Bharat FIH और Dixon के साथ काम शुरू किया है।
Samsung भी भारत से अमेरिका को कुछ स्मार्टफोन निर्यात करता है।
भारत के सामने चुनौती
यदि भारत को मोबाइल निर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखनी है, तो उसे नीतिगत स्पष्टता, वित्तीय प्रोत्साहन और कर सुधारों पर तेजी से फैसले लेने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर कदम नहीं उठाने से भारत यह मौका गँवा सकता है।
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