जगदलपुर। Jagdalpur News : बस्तर जिले के छिंदवाड़ा गांव में पादरी सुरेश बघेल के शव को दफनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए मृतक के शव को क्रिश्चियन कब्रिस्तान में दफनाने का निर्देश दिया। इसके बाद सोमवार देर शाम करकापाल क्रिश्चियन कब्रिस्तान में पादरी का अंतिम संस्कार किया गया।
Jagdalpur News : क्या है पूरा मामला?
पादरी सुरेश बघेल की मृत्यु 7 जनवरी को दरभा ब्लॉक के छिंदवाड़ा गांव में हुई थी। मृतक के परिजन शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाना चाहते थे। लेकिन स्थानीय पंचायत और आदिवासी समुदाय ने इसका विरोध किया। इसके चलते गांव में तनाव की स्थिति बन गई।
कानूनी लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
मृतक के परिवार ने गांव के कब्रिस्तान में शव दफनाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन हाई कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद परिजन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए निर्देश दिया कि शव को क्रिश्चियन कब्रिस्तान में दफनाया जाए।
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20 दिन तक शव रखा रहा मर्चुरी में
प्रशासन ने विवाद को देखते हुए मृतक का शव मेडिकल कॉलेज की मर्चुरी में रखवा दिया था। कोर्ट के फैसले तक शव वहीं रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सोमवार को शव को मर्चुरी से निकालकर क्रिश्चियन कब्रिस्तान ले जाया गया और वहां दफनाया गया।
स्थानीय विरोध और प्रशासन का हस्तक्षेप
गांव के आदिवासी समुदाय ने स्थानीय कब्रिस्तान में शव दफनाने का विरोध किया था। उनका कहना था कि यह परंपरा के खिलाफ है। प्रशासन ने मामले में शांति बनाए रखने के लिए तत्काल हस्तक्षेप किया और शव को मर्चुरी में रखवा दिया।
सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर संदेश
इस घटना ने धार्मिक और सामाजिक अधिकारों के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर किया। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करता है।
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