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DeepSeek Ai : भारत में AI के क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज हो सकता है, और यह उस सफलता की तरह हो सकता है जिसे मंगलयान मिशन के जरिए भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में हासिल किया। DeepSeek के R1 मॉडल की सफलता ने भारत को AI के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धि हासिल करने की दिशा में प्रेरित किया है। इस मॉडल की सफलता ने दिखा दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद AI में ग्लोबल लेवल पर बड़ी क्रांति लाई जा सकती है।
DeepSeek ने अपने R1 मॉडल को सिर्फ 6 मिलियन डॉलर (लगभग 50 करोड़ रुपये) की लागत से विकसित किया, जबकि बड़े अमेरिकी कंपनियों ने अपने मॉडल्स पर 100 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। इस मॉडल में “मिक्सचर ऑफ एक्सपर्ट्स” तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जो कम संसाधनों वाले देशों के लिए एक बड़ी संभावना साबित हो सकती है।
भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को AI में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, खासतौर पर स्थानीय भाषाओं के लिए AI मॉडल्स विकसित करने की आवश्यकता है। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को सटीक जानकारी मिल सकेगी, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और विविधताओं को ध्यान में रखते हुए सटीक समाधान भी प्रदान करेगा।
AI मॉडल्स को ट्रेनिंग देने के लिए भारी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, और DeepSeek ने अपने मॉडल को 2,000 GPUs के साथ विकसित कर दिखा दिया है कि यह किफायती और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार हो सकता है। AI समुदाय लंबे समय से ऊर्जा खपत और उसके पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर चिंतित था, और DeepSeek का मॉडल इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
गौतम श्रोफ और मयंक वत्स जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को AI में मांग और आपूर्ति के बीच एक संतुलन बनाने की आवश्यकता है। यदि भारत सरकारी और निजी संस्थाओं के साथ मिलकर AI में नवाचार को बढ़ावा देता है, तो वह ग्लोबल AI परिदृश्य में अपनी एक मजबूत उपस्थिति दर्ज कर सकता है।
DeepSeek का R1 मॉडल यह साबित करता है कि सीमित संसाधनों में भी AI के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है। भारत को AI के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए स्मार्ट, सस्टेनेबल और समाज-प्रेरित मॉडल पर काम करना होगा। अगर भारत अपनी AI रणनीतियों को सही दिशा में विकसित करता है, तो वह आने वाले वर्षों में AI क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
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