
History of QR Codes : एक जापानी इंजीनियर का आइडिया, जिसने बदल दी टेक्नोलॉजी की दुनिया, जानें क्यूआर कोड का इतिहास
History of QR Codes : आज के डिजिटल युग में क्यूआर कोड हर जगह दिखाई देता है चाहे वह छोटी चाय की दुकान हो, ऑनलाइन पेमेंट हो, या सोशल मीडिया लॉगइन। एक स्कैन से सारा काम हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह छोटा-सा कोड, जो हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है, कहाँ से आया और इसका सफर कैसे शुरू हुआ?
History of QR Codes : 1994 में जन्मा क्यूआर कोड
क्यूआर कोड, जिसका पूरा नाम Quick Response Code है, पहली बार 1994 में जापान में विकसित किया गया था। इसके जनक थे मासाहिरो हारा, जो उस समय टोयोटा की सहायक कंपनी Denso Wave में इंजीनियर थे। हारा ने इसे इस तरह डिज़ाइन किया कि यह तेज़ी से स्कैन हो और ढेर सारी जानकारी स्टोर कर सके।
History of QR Codes : प्रेरणा बनी ‘गो’ गेम
क्यूआर कोड का आइडिया हारा को जापानी बोर्ड गेम ‘गो’ से मिला। इस गेम में 19×19 का ग्रिड होता है, जिसमें काले और सफेद पत्थरों का पैटर्न बनाया जाता है। हारा ने सोचा कि अगर ऐसा ही ग्रिड टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल किया जाए, तो उसमें बहुत सारी जानकारी को कोड किया जा सकता है। यहीं से क्यूआर कोड की नींव पड़ी।
History of QR Codes : ऑटोमोबाइल से शुरू हुआ सफर
Denso Wave की टीम के साथ मिलकर हारा ने क्यूआर कोड को साकार किया। शुरुआत में इसका इस्तेमाल टोयोटा ने ऑटोमोबाइल पार्ट्स को ट्रैक करने के लिए किया। लेकिन धीरे-धीरे यह तकनीक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से निकलकर मोबाइल पेमेंट, डिलीवरी सिस्टम, वेबसाइट लिंक और सोशल मीडिया तक फैल गई। आज यह दुनिया भर में इस्तेमाल हो रही है।
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि क्यूआर कोड इतना बड़ा बन जाएगा।” – मासाहिरो हारा
History of QR Codes : हर स्मार्टफोन की ज़रूरत
क्यूआर कोड की खासियत है इसकी सादगी और गति। हर कोड यूनिक होता है और एक स्कैन में ही सारी जानकारी मिल जाती है। यही कारण है कि यह तकनीक आज हर स्मार्टफोन यूज़र के लिए रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है। चाहे UPI से पेमेंट करना हो या WhatsApp Web को लॉगइन करना, क्यूआर कोड ने सब कुछ आसान बना दिया।
क्यूआर कोड की यह कहानी एक जापानी इंजीनियर की रचनात्मकता और एक पारंपरिक गेम से मिली प्रेरणा का शानदार उदाहरण है, जो आज वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी की रीढ़ बन चुकी है।
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