
छत्तीसगढ़ में ”18 दिसंबर” को गुरु घासीदास जयंती बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। महान संत गुरु घासीदास जी ने समाज में व्याप्त भेदभाव, छुआछूत और अन्य कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करते हुए **”सतनाम”** का संदेश दिया, जिसका अर्थ है “सत्य ही ईश्वर है”। उनके द्वारा दिया गया संदेश “मनखे-मनखे एक समान” आज भी समानता और सामाजिक न्याय का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी धाम, जो उनका जन्मस्थल है, इस दिन विशेष आयोजनों का केंद्र बन जाता है।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में ”सत्संग, भजन-कीर्तन और सामाजिक कार्यक्रमों” का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में गिरौदपुरी धाम पहुंचकर गुरु घासीदास जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को सत्य, प्रेम और समानता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। गुरु घासीदास जयंती छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का प्रतीक है, जो हमें एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में आगे बढ़ने का संदेश देती है।