
असम के चिरांग जिले के किसान अकबर अली अहमद ने 6 साल पहले एक साहसी कदम उठाकर पारंपरिक खेती छोड़ दी और ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर रुख किया। उनके इस फैसले ने न केवल उनकी जिंदगी को बदला बल्कि स्थानीय किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।
शुरुआत में आईं चुनौतियां
ड्रैगन फ्रूट की खेती अकबर के लिए बिल्कुल नई थी। इस फसल की जरूरतों को समझने और इसे सफल बनाने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने बताया, “यह आसान नहीं था, लेकिन इसके संभावित फायदे नजर आ रहे थे।” उन्होंने LD-1 किस्म का चयन किया, जो अधिक उपजाऊ और बेहतर गुणवत्ता वाली है।
‘खिदमत एग्रो नर्सरी एंड फार्म’ की स्थापना
अकबर ने 2 हेक्टेयर जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। शुरुआत में खंभे और सिंचाई व्यवस्था पर भारी निवेश करना पड़ा। यह निवेश उनके लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्होंने इसे एक दीर्घकालिक लाभ के रूप में देखा।
उपज और आय में बढ़ोतरी
पहले साल में उनकी फसल से 15-20 किलो प्रति खंभा उपज मिली। अगले साल यह बढ़कर 30 टन प्रति हेक्टेयर हो गई। आज उनकी खेती से उन्हें सालाना 1 करोड़ रुपये की आय हो रही है। उनकी मेहनत और नई सोच ने उन्हें एक सफल किसान बना दिया।
स्थानीय किसानों के लिए प्रेरणा
अकबर की सफलता ने स्थानीय किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रेरित किया है। उनकी कहानी दिखाती है कि अगर किसान पारंपरिक तरीकों से हटकर नई संभावनाओं की तलाश करें, तो उनकी आय में बड़ा बदलाव हो सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के फायदे
- उच्च आय: परंपरागत फसलों की तुलना में बेहतर मुनाफा।
- कम जोखिम: फसल खराब होने की संभावना कम।
- निर्यात क्षमता: ड्रैगन फ्रूट की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग।
- पोषण से भरपूर: यह फल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
अकबर अली अहमद की यह कहानी दिखाती है कि सही सोच, मेहनत और दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी सफलता स्थानीय किसानों के लिए न केवल प्रेरणा है बल्कि कृषि के क्षेत्र में नए रास्ते खोलने का उदाहरण भी है।