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छतरपुर : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों जगन्नाथ पुरी में आयोजित पांच दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने महाकुंभ और उससे जुड़ी विवादित बयानबाजी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उनके शब्दों में, “कुंभ की जमीन किसी के अब्बा की नहीं, बल्कि हमारे बब्बा की है,” ने चर्चा का माहौल गरमा दिया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने हाल ही में दावा किया था कि महाकुंभ का आयोजन जिस भूमि पर होता है, वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। मौलाना रजवी ने नागा संन्यासियों और अन्य धार्मिक समूहों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुसलमानों के महाकुंभ में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है। उन्होंने कहा कि जिस जमीन पर मेले का आयोजन किया जा रहा है, वह वक्फ की संपत्ति है।
धीरेंद्र शास्त्री ने बिना किसी का नाम लिए, मंच से स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा, “जमीन तुम्हारे अब्बा की नहीं, हमारे बब्बा की है। जो तुम्हारे पास है, वह भी हमने तुम्हें दिया है। इस्लाम का जन्म अरब में हुआ, भारत में नहीं। यह हमारी उदारता है कि हमने इसे स्वीकार किया।”
धीरेंद्र शास्त्री ने सनातन धर्म को सबसे सहिष्णु और व्यापक धर्म बताया। उन्होंने कहा कि यह एकमात्र ऐसा धर्म है जो पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है। उन्होंने हिंदू समुदाय के बंटने और कमजोर होने पर चिंता जताई और कहा कि इसका मुख्य कारण है कि हिंदू बच्चों को गीता और रामायण का ज्ञान नहीं है।
उन्होंने कहा, “अब हमें इंटेलिजेंस हिंदू बनना होगा। मुसलमान कुरान का ज्ञान रखते हैं, ईसाई बाइबल पढ़ते हैं, लेकिन हिंदू धर्म के बच्चे अपने धर्मग्रंथों से दूर होते जा रहे हैं। यह समय है जागने और धर्म के ज्ञान को अपनाने का।”
महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है। यह आयोजन लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है। ऐसे में महाकुंभ की भूमि को लेकर मौलाना रजवी का दावा और धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिक्रिया ने राजनीतिक और धार्मिक बहस को जन्म दिया है।
उन्होंने हिंदुओं से अपील की कि वे अपने बच्चों को धर्मग्रंथों का अध्ययन कराएं और उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ें। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की सहिष्णुता को कमजोरी न समझा जाए। यह धर्म सहिष्णु है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह अपने अस्तित्व और अधिकारों पर समझौता करेगा।
धीरेंद्र शास्त्री के बयान ने न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक बहस को भी जन्म दिया है। उन्होंने अपने संबोधन में सनातन धर्म की सहिष्णुता और हिंदुओं की एकता पर जोर दिया। यह मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि धार्मिक आयोजनों और आस्थाओं को किसी भी विवाद से ऊपर रखा जाना चाहिए। महाकुंभ जैसे आयोजन भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर हैं, जिन्हें विवादों से दूर रखने की आवश्यकता है।
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