रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हालिया घटनाओं ने पार्टी के अंदर असंतोष और आक्रोश के गंभीर संकेत दिए हैं। पार्टी की हालिया बैठकें, खासकर उपचुनाव में हार के बाद, असंतोष की खुली अभिव्यक्ति का गवाह बनी हैं। इस असंतोष का केंद्र बिंदु पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज बने हैं, जिनके नेतृत्व को लेकर पार्टी के भीतर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह कांग्रेस में कलह के नए अध्याय की शुरुआत है, या फिर यह नेतृत्व परिवर्तन के पहले का पृष्ठभूमि तैयार कर रहा है?
असंतोष की खुली अभिव्यक्ति
पार्टी के भीतर असंतोष इस हद तक बढ़ चुका है कि पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज के खिलाफ खुले तौर पर गुस्सा जाहिर किया जा रहा है। सबसे ताजा विवाद बिलासपुर में कांग्रेस भवन में आयोजित एक बैठक के दौरान सामने आया। इस बैठक में पार्टी के कई नेता शामिल थे, जिसमें दीपक बैज, महामंत्री सुबोध हरितवाल और जिले के प्रभारी शामिल थे। बैठक समाप्त होने के बाद, जब बैज कांग्रेस भवन से बाहर निकल रहे थे, तो पूर्व महापौर राजेश पांडे ने बैठक में अपनी नाराजगी व्यक्त की। उनका आरोप था कि उन्हें और कुछ अन्य कांग्रेसियों को बोलने का मौका नहीं दिया गया। इस पर न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं, बल्कि पार्टी के आला नेताओं के बीच भी तीखी नोंक-झोंक शुरू हो गई। विवाद तब और बढ़ गया, जब राजेश पांडे और सुबोध हरितवाल के बीच गाली-गलौज की नौबत आ गई। यह विवाद गहरी गुटबाजी की ओर इशारा करता है, जहां बैज गुट और मरकाम गुट के नेताओं के बीच खींचतान साफ नजर आ रही है।बैज के नेतृत्व पर सवाल
कांग्रेस पार्टी में इस तरह की कलह नया नहीं है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के नेतृत्व को एक नई चुनौती दी है। कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दीपक बैज कार्यकर्ताओं पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं, जिसके कारण पार्टी में सीनियर नेताओं के बीच भी विवाद बढ़ने की आशंका है। सीएम विष्णुदेव साय ने इसे हार की खीज और पार्टी के स्वभाविक लड़ाई-झगड़े का हिस्सा करार दिया, लेकिन इसने पार्टी के भीतर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। इससे जुड़ा सवाल यह भी है कि क्या प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को अब कार्यकर्ताओं का खुला विरोध सहना पड़ रहा है? पार्टी के अंदर उनके नेतृत्व को लेकर जो असंतोष और विवाद बढ़ रहे हैं, क्या वे बैज के नेतृत्व के लिए एक खतरा साबित हो सकते हैं?कांग्रेस का संकट और नेतृत्व परिवर्तन
कांग्रेस पार्टी की इस अंदरूनी लड़ाई के पीछे का मुख्य कारण राज्य में लगातार हार है। इन हारों से पार्टी बौखलाई हुई नजर आ रही है और असंतोष की आंधी अब पार्टी के गुटों में फैलने लगी है। पूर्व महापौर राजेश पांडे की शिकायत और उसके बाद की घटनाओं ने साफ कर दिया कि दीपक बैज के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी में अनुशासन की कमी है। यही कारण है कि पार्टी के भीतर आक्रोश और असंतोष को शांत करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा, प्रदेश में हुए निकाय चुनावों की तैयारी को लेकर कांग्रेस में गुटबाजी की समस्या और भी जटिल हो गई है। विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी की प्रदेश इकाई में तकरार की यह स्थिति और ज्यादा गंभीर हो सकती है, और नेतृत्व परिवर्तन की मांग अब मुखर होने लगी है।क्या हो सकता है आगे?
कांग्रेस के अंदर बढ़ते असंतोष और गुटबाजी के इस माहौल में सवाल यह उठता है कि क्या पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है? क्या दीपक बैज को कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल पा रहा है, और क्या वे अगले चुनावों में कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं? यह स्थिति कांग्रेस के लिए एक गंभीर चुनौती है, क्योंकि पार्टी के भीतर इस तरह की कलह और असंतोष न केवल चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि पार्टी की साख और संगठनात्मक मजबूती पर भी असर डाल सकते हैं। अब देखना यह होगा कि दीपक बैज अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए क्या कदम उठाते हैं, और क्या पार्टी के भीतर की गुटबाजी को वे संभालने में सफल हो पाते हैं, या फिर नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ते हैं।Discover more from ASIAN NEWS BHARAT
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