भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार पंचायतीराज व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने जा रही है। राज्य में अब जनपद और जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता के माध्यम से कराने की तैयारी है। इसके लिए राज्य सरकार पंचायतराज अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। वर्तमान में अध्यक्षों का चुनाव पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है, लेकिन नई व्यवस्था में आम जनता को यह अधिकार मिलेगा।
मुख्य बिंदु:
- वर्तमान प्रणाली: अभी तक पंचायत अध्यक्षों का चुनाव निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- प्रस्तावित बदलाव:
- संशोधन के बाद जनपद और जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव जनता द्वारा सीधे मतदान के माध्यम से होगा।
- यह प्रणाली कई अन्य राज्यों की व्यवस्था के समान होगी।
- क्यों किया जा रहा है संशोधन?
- पंचायत स्तर पर अधिक पारदर्शिता लाने के लिए।
- जनता की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से।
- निर्वाचित सदस्यों के बीच खींचतान और राजनीति से बचने के लिए।
संभावित लाभ:
- जनता की सीधी भागीदारी: नई प्रणाली से जनता को अपने नेता चुनने का सीधा अधिकार मिलेगा, जिससे लोकतंत्र मजबूत होगा।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: अध्यक्ष सीधे जनता को जवाबदेह होंगे, जिससे उनके कार्यों में पारदर्शिता और सुधार की उम्मीद है।
- राजनीतिक विवादों में कमी: मौजूदा प्रणाली में निर्वाचित सदस्यों के बीच अक्सर राजनीति और खींचतान देखी जाती है, जो इस नई प्रणाली से खत्म हो सकती है।
- ग्राम स्तर पर विकास को गति: सीधे जनता से चुने गए प्रतिनिधि गांवों के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे।
अधिनियम में संशोधन की प्रक्रिया:
- सरकार पंचायतराज अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव जल्द ही विधानसभा में लाएगी।
- अन्य राज्यों की प्रणाली का अध्ययन कर इसे मध्यप्रदेश में लागू करने की तैयारी है।
- संशोधन के बाद यह प्रणाली आगामी पंचायत चुनावों से लागू हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय:
इस बदलाव को पंचायत स्तर पर लोकतंत्र को सशक्त करने के रूप में देखा जा रहा है। सीधे चुनाव होने से जनता और प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा।सरकार का उद्देश्य:
मध्यप्रदेश सरकार का उद्देश्य है:- पंचायत स्तर पर राजनीतिक स्थिरता लाना।
- जनता की भागीदारी बढ़ाकर विकास को गति देना।
- पंचायतों को मजबूत और पारदर्शी बनाना।
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