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Supreme-Court
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइंया की पीठ ने कहा कि प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित वे लोग हैं जो सड़कों पर काम करते हैं। हर व्यक्ति के पास घर या ऑफिस में एयर प्यूरीफायर लगाने की सुविधा नहीं होती। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार है, और यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक वैज्ञानिक रूप से यह साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखे प्रदूषण को बेहद कम करते हैं, तब तक उन पर लगी रोक जारी रहेगी। मौजूदा गंभीर स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को अनिवार्य बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यह प्रतिबंध आवश्यक है। अदालत ने जोर देकर कहा कि लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। इस फैसले से प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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