
Bakrid Qurbani
Bakrid Qurbani: नई दिल्ली/मोरक्को: इस्लामिक परंपराओं के सबसे अहम त्योहार बकरीद (ईद-अल-अजहा) से ठीक पहले मोरक्को सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देशभर में पशु कुर्बानी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय किंग मोहम्मद VI के शाही फरमान के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य गंभीर सूखे, घटती पशुधन संख्या और आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को राहत देना है।
यह आदेश 6 और 7 जून को मनाई जाने वाली बकरीद से पहले लागू किया गया है। इसके तहत पशु बाजार बंद कर दिए गए हैं, साथ ही भेड़-बकरियों की बिक्री, बलि और इससे जुड़े उपकरणों के व्यापार पर भी सख्त रोक लगाई गई है। प्रशासन ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस फैसले का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें, और देशभर में कुर्बानी की कोई भी गतिविधि न होने दें।
Bakrid Qurbani: क्यों लिया गया यह फैसला?
मोरक्को, जहां लगभग 99% आबादी मुस्लिम है, लंबे समय से सूखा और आर्थिक समस्याएं झेल रहा है। इसका सीधा असर पशुधन पर पड़ा है, जिसकी संख्या तेजी से घट रही है। ऐसी स्थिति में किंग मोहम्मद VI ने देशवासियों से अपील की है कि वे इस बार बकरीद पर पारंपरिक कुर्बानी से परहेज करें, और उसकी जगह दान, इबादत और जरूरतमंदों की सेवा को प्राथमिकता दें।
Bakrid Qurbani: देश में विरोध और समर्थन की दो ध्रुवीय प्रतिक्रियाएं
इस आदेश से मोरक्को में बहस छिड़ गई है। समर्थकों का कहना है कि यह एक व्यावहारिक और समयानुकूल फैसला है, जो पर्यावरण, पशुधन और आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है। वहीं, विरोधियों का तर्क है कि यह धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप है और इससे लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है। कुछ क्षेत्रों में पुलिस और प्रशासन ने बलि के लिए लाए गए जानवर जब्त किए, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। इस घटनाक्रम ने देश में धार्मिक अधिकार बनाम सार्वजनिक नीति की बहस को तेज कर दिया है।
Bakrid Qurbani: मुस्लिम जगत में भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं
इस फैसले को लेकर दुनियाभर के मुस्लिम समुदायों में भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ इसे साहसिक और जागरूक पर्यावरणीय कदम बता रहे हैं। जबकि कई इसे शरिया और धार्मिक परंपराओं के खिलाफ मानते हुए आलोचना कर रहे हैं।
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