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देश सहित प्रदेश में स्टार्टअप के क्षेत्र में है सुनहरा भविष्य: डॉ हुलास पाठक आने वाले समय में देश के जीडीपी में स्टार्टअप का रहेगा योगदान स्टार्टअप कितना स्टार्ट कितना ठप्प” विषय पर परिचर्चा का आयोजन Asian News Special Program : रायपुर। देश में युवाओं में उद्यमिता की संस्कृति तेजी से बढ़ रही है शिक्षा संस्थानों और इनक्यूबेशन सेंटरों में स्टार्ट अप्स को लेकर जागरूकता और समर्थन बढ़ रहा है। देश सहित छत्तीसगढ़ में भी लगातार स्टार्टअप की संख्या में वृद्धि हुई है। शहर से लेकर गांव तक स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं। UP Mahoba Cylinder Blast : गैस सिलेंडर में लगी आग, चपेट में आई 6 वर्षीय मासूम…इलाज के दौरान मौत…वीडियो Asian News Special Program : इन दिनों स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है बेंगलुरु हैदराबाद मुंबई और दिल्ली जैसे शहर स्टार्टअप्स के हब बन गए हैं… भारत सरकार ने स्टार्टअप इंडिया जैसे पहल शुरू की है जिसका उद्देश्य स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना और उनके लिए अनुकूल माहौल बनाना है इसके तहत टैक्स में छूट, आसान रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती है भारतीय स्टार्टअप विभिन्न उद्योगों में सक्रिय हैं जैसे कि टेक्नोलॉजी, ई-कॉमर्स, फिनटेक, हेल्थटेक एडटेक और एग्रीटेक शामिल हैं। बता दें कि भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप (जिनकी वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर या उससे अधिक होती है) की संख्या में वृद्धि हो रही है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार द्वार औद्योगिक नीति (2019-24) स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिए बनाई गई नीतियों का परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों में 838 स्टार्टअप्स इकाईयां पंजीकृत हुई हैं। नवीन औद्योगिक नीति में पहली बार इनक्यूबेटर्स की स्थापना एवं संचालन के लिए अनुदान का प्रावधान किया गया है। देश सहित प्रदेश में लाखों स्टार्टअप शुरू हुए हैं जो कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं। लेकिन कई ऐसे भी स्टार्टअप हैं जो ठप्प पड़ गए हैं या किसी कारण से बंद होने के कगार पर हैं। स्टार्टअप के अन्य अनछुएं पहलू भी है जिसको जानने के लिए और जनता तक पहुंचने के लिए एशियन न्यूज़ का खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण में “स्टार्टअप कितना स्टार्ट कितना ठप्प” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया और विस्तार से चर्चा की गई इस पर स्टार्टअप के विशेषज्ञ, स्टार्टअप कर्ता और किसान, आम जनता भी शामिल हुए जहां सभी ने खुलकर अपनी बात रखी। इस अवसर पर एशियन के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि इस समय पूरे देश में एक तरह के बातचीत हो रही है 2 करोड लोगों को रोजगार देने के बात हुई थी। दूसरी बात नौकरियों में आरक्षण और तीसरी बात ये होती है कि बेरोजगारी भत्ता, ये सभी बात कहीं न कहीं रोजगार से जुड़ी है। और लोगों को क्यों लगता है कि सरकारी नौकरियों में सभी को समाहित किया जाएगा। लेकिन हम देखते हैं MP Tribal Student Rape Case : सीधी में हुई हैवानियत मामले में सीएम यादव गंभीर….. कि धीरे धीरे साल दर साल एस्टेब्लिसमेंट का खर्चा कैसे कम किया जाए इसकी कवायत बहुत होती रही है। सरकारें कोई भी हो यह सोचती है कि लोग खुद का रोजगार करें। वहीं इन दिनों ज्यादातर स्वरोजगार और स्टार्टअप पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन एक और जहां स्टार्टअप की संख्या बढ़ रही है। वहीं कई स्टार्टअप भी ठप्प पड़ रहे हैं। भारत में पिछले साल के मुकाबले इस साल यानी 2024 में स्टार्टअप को मिलने वाले फंड में करीब 17 से सदी तक की कमी आई है साल 2021 में निवेशकों को रोजाना औसतन 6 डील मिल रही थी वहीं 2024 में यह घटकर तीन रह गई है भारत में स्टार्टअप फंडिंग में गिरावट का दौर अभी भी जारी है। इस अवसर पर इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के इक्यूबेशन सेंटर हेड एवं सीईओ हुलास पाठक ने कहा कि यह विषय बहुत ही समसामयिक है उन्होंने कहा हमारा देश अभी भी विकासशील देश है और जब हम विकासशील देश की बात करते हैं तो पर व्यक्ति आय के बात होती है अभी हमारा प्रति व्यक्ति आय अन्य विकासशील देशों की तुलना में बहुत कम है लेकिन हम एक बहुत ही अच्छे प्वाइंट ऑफ इन्फेक्शन की ओर बढ़ रहे हैं। मतलब जहां पर एक निर्णायक ट्रांसमिशन आने वाला है जो ग्राउंड वर्क किया जा चुका है अब उसे ग्राउंड के बाद अपनी बिल्डिंग बनानी है अगर हम बात करें इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन की तो आज के औद्योगिक क्रांति के बाद जो देश विकसित हुए हैं उसमें नवाचार की बहुत बड़ी भूमिका रही है और नवाचार के माध्यम से जो नए-नए उद्योग स्थापित हुए हैं उन उद्योगों के माध्यम से औद्योगिक करण को बहुत बढ़ावा मिला है और हमारा देश अभी पूरी तरीके से औद्योगिकरण नहीं है और यह कृषि प्रधान देश है भारत के बारे में आज भी कहा जाता है कि 17 से 18 प्रतिशत जीडीपी एग्रीकल्चर सेक्टर से आ रहा है और यह बड़े महत्वपूर्ण विषय है कि लगभग 65 प्रतिशत आबादी एग्रीकल्चर पर निर्भर है स्टार्टअप के क्षेत्र में बड़ी भूमिका कृषि के क्षेत्र में है क्योंकि एक बड़ी आबादी यहां पर प्रभावित होती है और अभी तक ऐसा हुआ है खेती की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में एक बड़ा सा उदास चेहरा नजर आता हैAsian News Special Program
एक साधारण शक्तिशाली किसान बहुत मायूस या साधारण से कपड़े में हो। हमारे समाज में दुर्भाग्य से ऐसा रहा है जिसको हम श्रम के प्रति जो आधार होना चाहिए इसका अभाव रहा है। लेकिन आज कृषि के क्षेत्र में लोग अच्छा कर सकते हैं इस क्षेत्र में न केवल एक अच्छा उद्यमी बन सकते हैं बल्कि लोगों को रोजगार भी मुहैया करवा सकते हैं और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमें देखने को मिल रहा है अभी जो माहौल बना है अभी स्टार्टअप के लिए कई माहौल बनाए जा रहे हैं और स्टार्टअप कर्ताओं को प्लेटफार्म देने का काम भी किया जा रहा है लेकिन आज से पहले 2016 की अगर बात करें तो हम लोगों को पता नहीं था कि स्टार्टअप इंडिया क्या है लेकिन एक मेगा प्लान के तहत स्टार्टअप इंडिया लॉन्च हुआ और आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी तीसरी लार्जेस स्टार्टअप इकोसिस्टम है और यह बहुत बड़ी बात है। मैं भारत में स्टार्टअप के क्षेत्र में बहुत सुनहरा भविष्य देखता हूं और जिस तरीके से इस सेक्टर में चेंज हो रहे हैं वह स्टार्टअप कर्ताओं के लिए अच्छे संकेत है। इस दौर में हमारे देश में बड़ा परिवर्तन आ रहा है जो लोग नौकरी ना करके स्टार्टअप के क्षेत्र में आ रहे हैं। और रही बात यूनिकॉर्न की तो भारत में कृषि के क्षेत्र में वह दिन दूर नहीं है जब यूनिकॉर्न मिलेंगे और जब पहली यूनिकॉर्न मिलेगा तो फिर इसके लाइन लग जाएगी। एनआईटी इक्यूबेशन सेंटर के प्रमुख डॉ अनुज शुक्ला ने कहा आज लोग स्टार्टअप के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं अगर हम देखें तो पिछले 10 सालों में 20 से 25 प्रतिशत जब स्टार्टअप के वजह से आए हैं और 2030 तक वन ट्रिलियन इकोनामी में वह स्टार्टअप होगा। अगर हम अन्य फैक्ट्स पर गौर करें और भारत की जीडीपी की कंट्रीब्यूशन को देखें तो आने वाले 2030 तक 4 से 5% का कॉन्ट्रिब्यूशन स्टार्टअप करेगा। वहीं बात करें 2014 की जब स्टार्टअप इंडिया नहीं आया था तो उस समय लगभा 456 स्टार्टअप थे और आज की तारीख में अगर लगभग 1 लाख 30 हजार स्टार्टअप देश भर में रजिस्टर्ड हैं,वहीं इतने वर्षों में 111 यूनिकॉर्न इस देश को दिए हैं वहीं 2022 में अकेले 45 यूनिकॉर्न इस देश को मिले हैं तो इसमें कोई संशय नहीं है कि स्टार्टअप जॉब प्रोवाइड नहीं कर सकता। महिला स्टार्टअप कर्ता डॉ शुभा मिश्रा ने कहा की वर्तमान समय में लोग पढ़ाई लिखाई के बाद भी स्टार्टअप की ओर आ रहे हैं। इसका मिसाल मैं खुद हूं पीएचडी करने के बाद भी मैं अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज महिलाएं और पुरुष इस क्षेत्र में आ रहे हैं। और अपना भविष्य सुधार रहे हैं। राजकुमार श्रीवास कहा कि मौजूदा दौर में लगातार चर्चा हो रही है कि कृषि के क्षेत्र में इनकम कैसे बढ़ाया जाए। मैं एक कृषि इंजीनियर होने के नाते यह समझता हूं कि यह पॉसिबल है कि कृषि की आय दोगुना क्या इससे अधिक बढ़ाया जा सकता है और इस क्षेत्र में लगातार कार्य भी हो रहे हैं इसे ही प्रेरित होकर हमने अपने स्टार्टअप शुरू किया है जो किसानों के लिए काफी मददगार है। युवा स्टार्टअप कर्ता शैली टोप्पो और आदर्श शर्मा ने कहा कि आज लोग उत्साहित होकर स्टार्टअप शुरू कर लेते हैं और अपने बायो में लिख लेते हैं लेकिन आज जरूरत है स्टार्टअप को समझने की लोग स्टार्टअप तो कर लेते हैं लेकिन यह समझ नहीं पाते हैं कि हमें किन समस्याओं का समाधान करना है इस क्षेत्र में युवा आगे बढ़ रहे हैं और आगे भी कई स्टार्टअप खुलेंगे लेकिन जो मूलभूत समस्याएं हैं उसके निदान पर काम करना जरूरी हैDiscover more from ASIAN NEWS BHARAT
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