
गुरूजी पर ग्रहण छत्तीसगढ़ के 50 हजार अध्यापको को जोर का झटका, जानें पूरा मामल
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गुरूजी पर ग्रहण छत्तीसगढ़ के 50 हजार अध्यापको को जोर का झटका, जानें पूरा मामल
बिलासपुर। गुरूजी पर ग्रहण : छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों और शिक्षक एलबी, जिन्होंने 10 वर्षों की सेवा पूरी कर ली है और क्रमोन्नत वेतनमान की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, उन्हें राज्य सरकार के हालिया फैसले से बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर की है।
सक्ति जिले में तैनात शिक्षकों ने पदोन्नत वेतनमान की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। 01.05.2012 को जिन शिक्षकों ने 7 साल की सेवा पूरी की थी, उन्हें 23.07.2013 के आदेश के तहत समयमान वेतनमान दिया गया था। 2013 में एक परिपत्र के जरिए कहा गया कि 8 साल की सेवा पूरी करने वाले पंचायत संवर्ग के शिक्षक, सरकारी शिक्षकों के समकक्ष वेतनमान पाने के हकदार होंगे।
हालांकि, 14.11.2014 को राज्य सरकार ने पूर्व परिपत्र को निरस्त कर दिया। बाद में, 10 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को स्टेप-अप वेतनमान देने के निर्देश दिए गए, लेकिन इस पर भी कई विवाद सामने आए।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद भी उनके मुवक्किलों को पदोन्नत वेतनमान नहीं मिला है। उन्होंने 10.03.2017 के परिपत्र का हवाला देते हुए कहा कि 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद शिक्षकों को प्रथम पदोन्नत वेतनमान और 20 साल की सेवा के बाद द्वितीय पदोन्नत वेतनमान मिलना चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि 06.12.2019 के हाई कोर्ट के एक आदेश में याचिकाकर्ताओं को अपनी मांग के लिए अभ्यावेदन दाखिल करने की स्वतंत्रता दी गई थी।
राज्य सरकार का कहना है कि जिन शिक्षकों ने 30.04.2013 के बाद 10 साल की सेवा पूरी की है, वे स्टेप-अप वेतनमान के पात्र नहीं हैं। सरकार ने 14.11.2014 को एक परिपत्र जारी कर पूर्व के सभी आदेशों को निरस्त कर दिया था।
हाई कोर्ट ने दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ने 30.04.2013 के बाद 10 वर्षों की सेवा पूरी नहीं की है। इसलिए उनके दावे को सही ठहराने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में याचिका को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद, राज्य सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने का निर्णय लिया है। इससे स्पष्ट है कि यह मामला अब लंबा खिंच सकता है।
इस फैसले का असर छत्तीसगढ़ के करीब 50 हजार शिक्षकों पर पड़ सकता है। यह विवाद न केवल उनके वेतनमान बल्कि उनके भविष्य की पदोन्नति और वित्तीय स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।
अब यह देखना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला क्या रुख लेता है। यह मामला शिक्षकों के वेतनमान और पदोन्नति से जुड़े नियमों की स्पष्टता के लिए एक मिसाल बन सकता है।
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