महायुति गठबंधन:
महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना गुट, और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल हैं। चुनाव पूर्व, सीटों के बंटवारे पर सहमति बनी थी, जिसमें भाजपा 148 सीटों पर, शिंदे गुट 80 सीटों पर, और अजित पवार गुट 52 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
महा विकास अघाड़ी (MVA):
MVA में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT), और शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP शामिल हैं। चुनाव प्रचार के दौरान, इन दलों ने भाजपा और महायुति सरकार पर भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलताओं के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने विशेष रूप से शिंदे सरकार के कार्यकाल में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित घोटालों को उजागर किया है।
चुनाव प्रचार और रणनीतियाँ:
दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में व्यापक प्रचार अभियान चलाए हैं। महायुति ने कल्याणकारी योजनाओं, जैसे ‘लाडली बहना योजना’, के माध्यम से मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास किया है। वहीं, MVA ने महायुति सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए, मराठा आरक्षण, किसानों की समस्याओं, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाया है।
सरकार गठन की तैयारी:
चुनाव परिणामों की घोषणा से पहले ही, दोनों गठबंधनों ने संभावित सरकार गठन के लिए आंतरिक चर्चाएँ शुरू कर दी हैं। महायुति ने अपने सहयोगी दलों के साथ सत्ता-साझाकरण के संभावित मॉडल पर विचार-विमर्श किया है। वहीं, MVA ने भी संभावित सीटों के आधार पर मंत्रिमंडल गठन की रूपरेखा तैयार की है।
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र की राजनीति में वर्तमान में दोनों प्रमुख गठबंधन चुनाव परिणामों से पहले ही सरकार गठन की तैयारियों में जुटे हुए हैं। चुनाव परिणामों के बाद, राज्य में सत्ता संतुलन किस ओर झुकेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।