
Bombay High Court
Bombay High Court : “बेटा पढ़ाओ और बेटी बचाओ ये हम नहीं बॉम्बे हाइकोर्ट की टिपण्णी है जी हाँ महाराष्ट्र में बदलापुर मामले के बाद बॉम्बे हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक बड़ी टिप्पणी की..
कोर्ट ने कहा कि “बेटा पढ़ाओ और बेटी बचाओ”. हाइकोर्ट ने POCSO के कार्यान्वयन में खामियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. हाइकोर्ट ने कहा कि नाबालिगों पर यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए पुलिस, अस्पतालों और
स्कूलों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया यानि एसओपी का सुझाव देने के लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट डॉक्टरों को भी यह जागरूक करने का प्रयास किया जाना चाहिए कि वे POCSO अधिनियम के तहत
बलात्कार पीड़िता की जांच करने से इनकार नहीं कर सकते. वो यह नहीं कह सकते कि पुलिस के पास जाओ.बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सलाह देते
Bombay High Court
हुए कहा कि जल्दबाजी में आरोपपत्र दाखिल न करें. कोर्ट ने कहा, ‘जनता के दबाव में काम न करें. सुनिश्चित करें कि जांच ठीक से हो. हम दिन-प्रतिदिन देख रहे हैं कि जांच ठीक से नहीं हो रही है. हमारा प्रयास है कि पुलिस के पास जाने
वाले पक्ष को न्याय मिले.’आपको बता दें कि बदलापुर के जिस स्कूल में यौन उत्पीड़न की कथित घटनाएं हुई थीं, उसके दो ट्रस्टी फरार हैं.
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जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने केस डायरी देखने के बाद कहा कि केस डायरी का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया है.
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