
Rang Panchami 2025: जानिए कब है रंग पंचमी, पूजा विधि और इसका महत्व....
Rang Panchami 2025: रंगों का पर्व होली खत्म होने के बाद भी रंगों की मस्ती खत्म नहीं होती, क्योंकि इसके पांचवें दिन मनाई जाती है रंग पंचमी। यह उत्सव चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर रंगों का उत्सव मनाते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
आइए जानते हैं इस बार रंग पंचमी कब है, इसके पीछे की मान्यताएं और पूजा विधि –
कब है रंग पंचमी 2025
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 18 मार्च 2025 को रात 10 बजकर 9 मिनट पर शुरू होगी और 20 मार्च 2025 को रात 12 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए इस साल रंग पंचमी का पर्व 19 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
देवी-देवताओं को चढ़ाएं ये विशेष रंग:
रंग पंचमी के दिन देवी-देवताओं को विशेष रंग अर्पित करने की परंपरा है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं किस देवता को कौन-सा रंग चढ़ाना शुभ होता है:
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भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी:
- रंग: गुलाबी और पीला
- महत्व: ये रंग प्रेम, आनंद और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।
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माता लक्ष्मी:
- रंग: लाल और गुलाबी
- महत्व: लाल रंग समृद्धि, शक्ति और ऐश्वर्य का प्रतीक है, जिससे माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
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भगवान विष्णु:
- रंग: पीला
- महत्व: पीला रंग धर्म, ज्ञान और शुभता का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
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भगवान शिव:
- रंग: सफेद और भस्म (राख)
- महत्व: सफेद रंग शांति और भक्ति का प्रतीक है, जो भगवान शिव को अर्पित किया जाता है।
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हनुमान जी:
- रंग: सिंदूरी (भगवा)
- महत्व: यह रंग शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक है, जिससे भक्तों को बल और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
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माता दुर्गा:
- रंग: लाल और केसरी
- महत्व: ये रंग शक्ति, ऊर्जा और विजय के प्रतीक हैं।
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भगवान गणेश:
- रंग: हरा
- महत्व: हरा रंग बुद्धि, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है, जो भगवान गणेश को प्रसन्न करता है।
रंग पंचमी का महत्व:
रंग पंचमी केवल रंग खेलने का उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से बेहद खास पर्व है। मान्यता है कि इस दिन देवता अदृश्य रूप में पृथ्वी पर आकर रंगों से खेलते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसे बुरी शक्तियों के नाश और सकारात्मक ऊर्जा के संचार का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ-साथ लक्ष्मी-नारायण, शिव-पार्वती, और हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अपने इष्टदेव को गुलाल और अबीर अर्पित करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
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