नई दिल्ली: Modi-Trump Meeting: 13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे, जहां भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार और सैन्य साझेदारी में पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी आई है, और इस बैठक से इसमें और वृद्धि होने की संभावना है। भारत और अमेरिका एक साझा रणनीतिक दृष्टिकोण रखते हैं, विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए।
2016 में अमेरिका ने भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा दिया था, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में तेजी आई। 2018 में भारत को स्ट्रेटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन टियर-1 (STA-1) का दर्जा मिला, जिससे भारत को सैन्य और दोहरे उपयोग की तकनीकों तक अधिक सुविधाजनक पहुंच मिली।
भारत को मिल सकते हैं ये आधुनिक हथियार
भारत के सामने उन्नत लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव है, जैसे F-21, Boeing F/A-18 Super Hornet और F-15EX Eagle, जो भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाएंगे और अमेरिका के साथ सैन्य सामंजस्य को मजबूत करेंगे। इसके अलावा, नौसेना के लिए MH-60R Seahawk हेलीकॉप्टर और Sea Guardian Unmanned Aerial System (UAS) जैसे उन्नत उपकरणों की आपूर्ति हो सकती है, जो भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं को बढ़ाएंगे।
आधुनिक सुरक्षा प्रणाली और हथियार
भारत ने पहले ही Apache अटैक हेलीकॉप्टर और Large Aircraft Infrared Countermeasure (LAIRCM) की खरीद की है। इस बैठक में इन रक्षा सौदों को और विस्तार देने पर चर्चा हो सकती है।
Modi-Trump Meeting: साझा सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण
अमेरिका और भारत पहले से ही Tiger Triumph जैसे त्रि-सेवा अभ्यास और Malabar जैसे नौसैनिक अभ्यासों के माध्यम से सामरिक साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं। इस बैठक में इन सैन्य अभ्यासों को और विस्तारित करने पर सहमति बन सकती है।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के तरीके
विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) और प्रत्यक्ष वाणिज्यिक बिक्री (DCS) के तहत हथियारों और रक्षा तकनीक की खरीद को आसान बनाया जाएगा। भारत को IMET (International Military Education and Training) कार्यक्रम के तहत अमेरिकी सैन्य प्रशिक्षण और तकनीकी ज्ञान प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा, LEMOA (Logistics Exchange Memorandum of Agreement), COMCASA (Communications Compatibility and Security Agreement) और ISA (Industrial Security Agreement) जैसे समझौतों को और प्रभावी बनाने पर चर्चा की जा सकती है।
इंडो-पैसिफिक रणनीति और वैश्विक शक्ति संतुलन
भारत और अमेरिका साझा लक्ष्य के तहत चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच सुरक्षा रणनीति को क्वाड (QUAD) देशों—अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया—के साथ और आगे बढ़ाया जा सकता है, जो चीन को सामरिक रूप से घेरे रखने के उद्देश्य से किया जाएगा।
Modi-Trump Meeting: भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के लाभ
- भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि।
- आधुनिक रक्षा तकनीक तक आसान पहुंच।
- सैन्य अभ्यास और इंटरऑपरेबिलिटी में सुधार।
- चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों के खिलाफ रणनीतिक बढ़त।
भारत के लिए यह एक अवसर है, जिससे न सिर्फ उसकी रक्षा जरूरतों को मजबूती मिलेगी, बल्कि क्वॉड के भीतर चीन को घेरने की रणनीति में अमेरिका का भी खुलकर समर्थन मिलेगा।
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