
बॉर्डर की निगहबानी करेंगे शेर का शिकार करने वाले श्वान : BSF के जांबाज जवान दे रहे प्रशिक्षण, इंडो - पाक सीमा पर होंगे तैनात
नई दिल्ली। बॉर्डर की निगहबानी करेंगे शेर का शिकार करने वाले श्वान : कभी राजा -महाराजे जिस श्वान से शेर का शिकार किया करते थे, अब उसी ब्रीड के श्वान आपको इंडो -पाक बॉर्डर पर BSF के जांबाज जवानों के साथ नज़र आएंगे। ये हमारी सीमाओं को जहां तस्करों की तस्करी से बचाएंगे तो वहीं जवानों को अचानक होने वाले हमलों से भी सावधान करेंगे। सीमा पार से आने वाले घुसपैठियों और पाकिस्तानी ड्रोन्स की खबर भी ये तत्काल अपने मास्टर को दे देंगे। यही नहीं अगर कोई जवानों पर असाल्ट राइफल से भी हमला करेगा तो ये उस पर भी इतनी तेजी से टूट पड़ेंगे कि उसे संभलने तक का मौका नहीं मिलेगा। BSF के बीकानेर कैम्प में इनका प्रशिक्षण चल रहा है। हमारी सेनाओं में कौन -कौन सी ब्रीड के डॉग सेवाएं दे रहे हैं ? जानने के लिए बने रहिए एशियन न्यूज़ भारत के साथ –
बॉर्डर की निगहबानी करेंगे शेर का शिकार करने वाले श्वान :
फिलहाल इन श्वानों को बीकानेर के जयपुर रोड स्थित BSF के परिसर में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनके प्रशिक्षण में हथियार-बारूद और ड्रग्स ढूंढना गोली चलाने वाले दुश्मन पर तूफानी गति से हमला करना शामिल है । अब तक करीब 80 से ज्यादा डॉग्स प्रशिक्षित हो चुके हैं ।
बीकानेर ट्रेनिंग सेंटर में कौन -कौन से ब्रीड के डॉग
जर्मन शेफर्ड : ये दुनिया के 10 सबसे खतरनाक श्वानों में से एक है। इसे पुलिसिया श्वान के नाम से भी जाना जाता है। इसके शरीर का भार 30 से 40 किलो के बीच होता है, लेकिन दुश्मन पर हमला 108 किलो के प्रेशर से करता है। कई देशों में इसे पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं। इससे बच पाना मुश्किल होता है।
रामपुर हाउंड्स (भारतीय ) : रामपुर हाउंड को भारतीय डॉग्स की सबसे पुरानी नस्लों में से एक माना जाता है है। रामपुर हाउंड ब्रीड का प्रजनन बहुत ही शक्तिशाली और क्रूर (अफगानी हाउंड डॉग्स ) ब्रीड इंग्लिश ग्रेहाउंड से हुआ था।यह महाराजाओं के समय सियार नियंत्रण के लिए उनका सहायक डॉग होता था। इसका इस्तेमाल कभी-कभी शेर,बाघ और तेंदुओं के शिकार के लिए भी किया जाता था।
राउस मुधोल (भारतीय )- इन श्वानों को काफी चालाक माना जाता है। ये दिखने में तो काफी दुबले-पतले होते हैं, लेकिन हंटिंग में काफी तेज। दौड़ने में भी माहिर होते हैं। इनके देखने और सूंघने की शक्ति भी तेज होती है।
श्वानों को 3 तरह की ट्रेनिंग
विस्फोटक प्रशिक्षण : हथियार और बारुद की खोजबीन करना सिखाते हैं।
नशीले पदार्थों को तलाशने की जिम्मेदारी : सूंघते-सूंघते नशीले सामान तक पहुंचने की ट्रेनिंग देते हैं।
असॉल्ट ट्रेनिंग : इस प्रशिक्षण में डॉग्स गोली चलाने वाले दुश्मन पर पूरी तेजी से हमला कर देते हैं। इससे उसे संभालने का मौका नहीं मिलता है।
हर डॉग से साथ एक हैंडलर
हर डॉग के साथ एक श्वान नियंत्रक को सुबह-शाम ट्रेनिंग दी जाती है। एक डॉग के साथ एक श्वान नियंत्रक होता है। ये BSF का एक जवान होता है। हर नियंत्रक अपने डॉग का ध्यान रखता है। ट्रेनिंग के दौरान डॉग को सबसे पहले एक इशारे में बैठना, खड़ा होना सिखाया जाता है।
डॉग को चलते-चलते अचानक घूमने की ट्रेनिंग मिलती है। कुछ समय बाद डॉग को अलग-अलग नारकोटिक्स, हथियार, बारुद के बारे में ट्रेंड करते हैं। इतना तैयार कर दिया जाता है कि एक बार हेरोइन सूंघने के बाद उसे मैदान में छोड़ दिया जाए तो वह कुछ ही देर में छुपाई गई हेरोइन को बरामद कर लेगा।
ट्रेनिंग सेंटर में हर डॉग के साथ एक हैंडलर होता है। हैंडलर अपने डॉग का ध्यान रखता है।
डॉग्स का तकनीक के साथ समायोजन
DIG लूथरा की मानें तो श्वानों की सुनाने की शक्ति इंसानों से काफी ज्यादा होती है। अब इस पर भी काम चल रहा है। रिसर्च हो रहा है कि डॉग इंसान से कितनी दूरी से सुन सकते हैं। ड्रोन से तस्करी करने वाले स्मग्लरों को पकड़ने के लिए इन डॉग्स का उपयोग हो सकता है। संभव है कि इंसान से पहले डॉग को ड्रोन की आवाज सुनाई दे। ऐसे में श्वानों की सहायता से ड्रोन को पकड़ा जा सकता है।
डॉग्स की खुराक कितनी
खाने में चिकन, दूध, अंडा और मक्खन डॉग्स के लिए अलग से हॉस्पिटल बनाया गया है, जहां बीमार डॉग्स की वेटरनरी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टॉफ की निगरानी में देखभाल की जाती है। ट्रेनिंग सेंटर में हर डॉग के लिए अलग बैरक है। बैरक में सर्दी से बचाने के लिए साधन दिए गए हैं। वहीं गर्मी के समय कूलर लगते हैं। बैरक में ही डॉग्स को भोजन दिया जाता है। डॉग्स को वेज और नॉनवेज दोनों तरह का फूड (चिकन, दूध, अंडा और मक्खन) दिया जाता है।
ट्रेनिंग सेंटर में ही ब्रीडिंग भी
इसके अलावा टेनिंग सेंटर में डॉग्स की ब्रीडिंग भी हो रही है। हर साल बड़ी संख्या में डॉग्स जन्म लेते हैं। उन्हें तैयार किया जाता है। खास बात है कि यहां पैदा हुए डॉग्स शत-प्रतिशत जीवित रहे हैं और अच्छे से बड़े हो रहे हैं।
कितने तैनात कितने ट्रेनिंग में
तैयार डॉग अलग-अलग पोस्ट पर तैनात डीआईजी ने बताया- बीकानेर के ट्रेनिंग सेंटर से अब तक 20 डॉग्स को तैयार करके राजस्थान की अलग-अलग पोस्ट पर तैनात किया जा चुका है। वहीं 34 की ट्रेनिंग चल रही है। जिन क्षेत्रों में नारकोटिक्स तस्करी की समस्या ज्यादा है। वहां नारकोटिक्स सूंघने में ज्यादा सक्षम डॉग को तैनात किया गया है।
BSF ने राजस्थान फ्रंटियर को सौंपा जिम्मा बीकानेर रेंज के उप महानिरीक्षक अजय लूथरा ने बताया- देश की सीमाओं और अंदरुनी सुरक्षा के लिए ग्वालियर के टेकनपुर में नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स है। पिछले साल BSF ने अपने स्तर पर डॉग्स तैयार करने का फैसला किया। इसका जिम्मा राजस्थान फ्रंटियर को दिया गया। फ्रंटियर ने ये काम बीकानेर को सौंप दिया।
अब “स्वान क्रांति फील्ड इंटीग्रेटेड प्रोग्राम” के तहत बीकानेर में जयपुर रोड स्थित बीएसएफ परिसर में डॉग्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग वेटरनरी डॉक्टर डॉ. चोपाल की देखरेख में होती हैं। ट्रेनिंग देने के साथ ही डॉग्स के रहन-सहन को भी संभालते हैं। एएसआई बिश्म्भर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल कोमल प्रसाद, मनोज कुमार व दिलीप कुमार मुख्य रूप ट्रेनर के रूप में काम रहे हैं।इन को ट्रेनिंग के बाद देश की सुरक्षा में लगाया जाएगा।
लेब्राडोर क्रिस ने दबोचा था पाकिस्तानी तस्कर
श्रीगंगानगर की एक चौकी पर पाकिस्तानी तस्कर जब 60 करोड़ रुपए की नारकोटिक्स सामग्री लेकर जा रहा था। तब वहां पर तैनात लेब्राडोर क्रिस ने उसे पकड़ लिया था। ये एक काले रंग का खतरनाक डॉग है, जो नशे की सामग्री के पास पहुंच गया और दुश्मन को उसके आस-पास भी नहीं आने दिया।
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