आज के तेजी से बदलते समाज में, बच्चों में तनाव एक सामान्य समस्या बनती जा रही है। पहले यह माना जाता था कि तनाव केवल वयस्कों को होता है, लेकिन अब शोध और विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चे भी छोटी उम्र से ही तनाव का सामना कर रहे हैं।
तनाव के कारण
- शिक्षा का बोझ: आजकल के बच्चे स्कूल में उच्च प्रदर्शन करने के दबाव का सामना कर रहे हैं। उन्हें अच्छे नंबर लाने और कक्षा में प्रथम आने की उम्मीदें होती हैं, जिससे उन पर भावनात्मक दबाव पड़ता है
- माता-पिता की अपेक्षाएँ: माता-पिता अक्सर अपने बच्चों पर अपनी इच्छाएँ थोपते हैं, जिससे बच्चे खुद को असफल महसूस करते हैं और तनाव में आ जाते हैं
- सोशल मीडिया: सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव भी बच्चों में तनाव का एक कारण बन रहा है। वे अपनी तुलना दूसरों से करते हैं, जिससे आत्म-esteem प्रभावित होती है
- परिवार में तनाव: घर का माहौल भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि माता-पिता तनाव में रहते हैं, तो इसका असर बच्चों पर भी पड़ता है
तनाव के लक्षण
- व्यवहार में परिवर्तन: बच्चे अक्सर चिड़चिड़े या उदास हो जाते हैं।
- नींद की समस्या: बिस्तर गीला करना या नींद से बार-बार उठना।
- पसंदीदा चीजों से दूरी: यदि बच्चा अपने पसंदीदा खिलौनों या गतिविधियों से दूर हो जाता है, तो यह तनाव का संकेत हो सकता है
थेरपी और काउंसलिंग की जरूरत
बच्चों को तनाव से निपटने के लिए थेरपी और काउंसलिंग अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि:
- भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर दें: बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का मौका दें ताकि वे बेहतर महसूस कर सकें
- सकारात्मक वातावरण बनाएं: घर में एक सकारात्मक माहौल सुनिश्चित करें, जहां बच्चे सुरक्षित महसूस करें
- शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें: नियमित व्यायाम करने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है और वे तनाव को बेहतर तरीके से संभाल पाते हैं
इस प्रकार, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि वे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें।
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