Uttarakhand Government : रुद्रप्रयाग : विगत दिनों एक ट्रष्ट द्वारा दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण पर उपजे विवाद को लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा केबिनेट में राज्य के चार धाम व अन्य प्रमुख मन्दिरों के नाम से ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरूद्ध कठोर विधिक प्राविधान करने का निर्णय लिया है।
रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य एवं जनहित में ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं।
विधायक चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट द्वारा राज्य के चार धाम व अन्य प्रमुख मन्दिरों के नाम से ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरूद्ध
कठोर विधिक प्राविधान किये हैं। दरअसल हाल के समय में राज्य में कतिपय व्यक्ति / संस्थाओं द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में अवस्थित चार धाम यथा श्री केदारनाथ धाम
Uttarakhand Government
श्री बद्रीनाथ धाम, श्री गंगोत्री धाम, श्री यमुनोत्री धाम व अन्य प्रमुख मन्दिरों के नाम का अथवा इनके संचालन हेतु गठित ट्रस्ट/ समिति के नाम से मिलते-जुलते नाम का प्रयोग
कर ट्रस्ट/ समिति आदि बनाई जा रही है।प्रदेश में इस प्रकार की गतिविधियों से जन सामान्य में असमंजस की स्थिति उत्पन्न होने के साथ ही स्थानीय परम्पराओं एवं
धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस पहुँचती है,तथा स्थानीय स्तर पर आक्रोश की भी सम्भावना रहती है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कड़े विधिक प्राविधान लागू किये जाने का निर्णय कैबिनेट द्वारा राज्य हित में लिया गया है।
अब राज्य के अन्दर अथवा राज्य के बाहर कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था किसी समिति अथवा ट्रस्ट का गठन कर चार धामों एवं प्रमुख मंदिरों के नाम पर समिति अथवा ट्रस्ट का गठन नहीं कर पायेगा।
इससे इस संबंध में उत्पन्न विवाद का भी समाधान हो सकेगा।उन्होंने इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। वही उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा
कावंड़ यात्रा के दौरान यात्रा रूट पर सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर संचालकों का नाम अंकित करने का निर्णय को भी ऐतिहासिक बताया।उन्होंने कहा कि ये प्रकिया सभी यात्रा
रूटों के साथ सम्पूर्ण प्रदेश में सभी व्यवसाहिक प्रतिष्ठानों के नियम लागू होना चाइये।इसमें किसी को कुछ आपत्ति नहीं होनी चाइये।उन्होंने कहा की जो पार्टियां तुस्टीकरण की
राजनीति करते है, उनको ही ज्यादा पीड़ा हो रही है।सरकार के इस निर्णय का आम जनता एवं सभी व्यपारियों ने स्वागत योग्य निर्णय बताया है।
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