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USAID Funding Controversy: भारत में बहस तेज, किन देशों को मिली सबसे ज्यादा आर्थिक सहायता, जानें...
नई दिल्ली : USAID Funding Controversy: अमेरिकी सरकार की विदेशी वित्तीय मदद देने वाली एजेंसी USAID (यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) को लेकर भारत में बहस छिड़ गई है। हाल ही में अमेरिका ने भारत में “वोटर टर्नआउट” से जुड़ी 2.1 करोड़ डॉलर (लगभग 175 करोड़ रुपये) की सहायता राशि रोकने का फैसला किया, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में घमासान मच गया है। यह कदम अमेरिका की उस व्यापक नीति समीक्षा का हिस्सा है, जिसमें वह अपनी विदेशी सहायता के उपयोग पर पुनर्विचार कर रहा है। USAID दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों में लोकतंत्र, मानवाधिकार और प्रशासनिक सुधारों के नाम पर आर्थिक मदद पहुंचाती रही है, लेकिन इसे कई बार भूराजनीतिक रणनीति के तौर पर भी देखा जाता है।
अमेरिका ने 2024 में खर्च किए 44.20 अरब डॉलर
2024 में अमेरिकी सरकार ने USAID के जरिए विदेशी सहायता के लिए 44.20 अरब डॉलर का बजट आवंटित किया था, जो उसके कुल बजट का महज 0.4 प्रतिशत है। यह सहायता मुख्य रूप से लोकतंत्र को मजबूत करने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और प्रशासनिक सुधारों के लिए दी जाती है। हालांकि, कई देशों में इस मदद को लेकर सवाल उठते रहे हैं कि क्या यह वास्तव में विकास के लिए है या इसके पीछे राजनीतिक मंशा छिपी है।
बांग्लादेश को मिली 371.7 मिलियन डॉलर की मदद
2024 में बांग्लादेश को अमेरिका से 371.7 मिलियन डॉलर की सहायता मिली, जो दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के बाद सबसे बड़ी राशि है। इसमें से 37.11 मिलियन डॉलर “लोकतंत्र, मानवाधिकार और शासन” के लिए दिए गए। बांग्लादेश में विपक्षी दलों और विश्लेषकों ने इस मदद पर सवाल उठाए हैं। आरोप है कि अमेरिका इस सहायता का इस्तेमाल राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है। खासतौर पर 2024 के आम चुनावों से पहले इस सहायता में बढ़ोतरी ने बहस को और हवा दी है।
USAID Funding Controversy: टॉप 5 देश जिन्हें मिली सबसे ज्यादा अमेरिकी मदद
2024 में अमेरिका से सबसे अधिक आर्थिक सहायता पाने वाले देशों की सूची इस प्रकार है:
अफगानिस्तान – 596.7 मिलियन डॉलर
बांग्लादेश – 371.7 मिलियन डॉलर
म्यांमार – 223.5 मिलियन डॉलर
पाकिस्तान – 207.8 मिलियन डॉलर
भारत – 151.8 मिलियन डॉलर
इसके अलावा, नेपाल को 123.8 मिलियन डॉलर की सहायता मिली, जो इसे इस सूची में छठे स्थान पर रखता है।
सहायता का उपयोग कहां हो रहा है?
अमेरिकी सहायता मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में खर्च की जा रही है:
लोकतंत्र और मानवाधिकार: चुनाव सुधार, मीडिया स्वतंत्रता और राजनीतिक दलों के प्रशिक्षण के लिए।
प्रशासनिक सुधार: पारदर्शिता बढ़ाने और प्रशासनिक दक्षता में सुधार के लिए।
आर्थिक सहयोग: गरीबी उन्मूलन और सामाजिक विकास परियोजनाओं के लिए।
USAID Funding Controversy: भारत में क्यों मचा है बवाल?
भारत को 2024 में 151.8 मिलियन डॉलर की सहायता मिली, लेकिन हाल ही में “वोटर टर्नआउट” से जुड़ी 2.1 करोड़ डॉलर की राशि रोकने के फैसले ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। कुछ राजनीतिक दलों का आरोप है कि यह अमेरिका की ओर से भारत के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी का प्रयास है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह अमेरिका की नई “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वह अपनी सहायता को रणनीतिक हितों के आधार पर समायोजित कर रहा है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिकी सहायता का बड़ा हिस्सा उन देशों को जाता है जो या तो संकटग्रस्त हैं या अमेरिका के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में यह मदद मानवीय सहायता के साथ-साथ राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करने के लिए भी देखी जा रही है। भारत में इस मुद्दे पर बहस जारी है कि क्या यह सहायता वास्तव में विकास के लिए है या इसके पीछे कोई छिपा एजेंडा है।
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