
गंगोत्री क्रूज के साथ काशी बनी 7 क्रूज वाली नगरी, अगस्त में शुरू होगा संचालन, गंगा के नजारे का आनंद ले सकेंगे पर्यटक
UP News: वाराणसी। भगवान महादेव की नगरी काशी ने क्रूज पर्यटन में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। गंगा नदी में संचालित होने वाले क्रूज की शृंखला में अब फाइव स्टार सुविधाओं से लैस चार मंजिला गंगोत्री क्रूज भी शामिल हो गया है। यह क्रूज वाराणसी के रविदास घाट पहुंच चुका है और अगस्त में इसका संचालन शुरू होने की योजना है।
UP News: गंगा में तैरता फाइव स्टार होटल
गंगोत्री क्रूज को गंगा में तैरते होटल की संज्ञा दी जा रही है। क्रूज की छत से काशी के घाटों की मनमोहक सुंदरता का दीदार किया जा सकता है। 52 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा यह क्रूज 1.45 मीटर की गहराई तक नदी में संचालित होने में सक्षम है। इसमें 24 एसी कमरे हैं, जिनमें स्वीट रूम से लेकर सिंगल रूम तक की सुविधा उपलब्ध है। प्रत्येक कमरे की बालकनी को आकर्षक ढंग से डिजाइन किया गया है, जहां पर्यटक बैठकर गंगा के नजारे का आनंद ले सकते हैं।
UP News: गंगोत्री क्रूज में 48 लोग रह सकते हैं एक साथ
क्रूज संचालक जयंत मालवीय ने बताया कि गंगोत्री क्रूज में 48 लोग एक साथ रह सकते हैं। इसमें खूबसूरती से सजाया गया लंच और डाइनिंग एरिया है, जिसे गंगोत्री काशी नाम दिया गया है। कमरों में बड़ी-बड़ी खिड़कियां हैं, जिनसे घाटों की सुंदरता और गंगा में डॉल्फिन की अठखेलियां देखी जा सकती हैं। क्रूज 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है और इसमें एक बार में 200 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है। पर्यटक यहां भक्ति संगीत, योग, बनारसी खानपान, हेरिटेज व्याख्यान, घाटों के भ्रमण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठा सकेंगे।
UP News: वाराणसी: सात क्रूज वाला शहर
वाराणसी अब सात क्रूज वाला शहर बन चुका है। गंगा में पहले से स्वामी विवेकानंद, अलकनंदा, गंगा विलास, बंगाल गंगा, काशी विश्वनाथ (मेड इन बनारस) और दो रो-रो क्रूज संचालित हो रहे हैं। गंगा विलास और बंगाल गंगा पर्यटकों को बंगाल की खाड़ी तक 15 से 60 दिन की यात्रा का अनुभव कराते हैं। गंगोत्री क्रूज कोलकाता के शिपयार्ड से जलमार्ग के रास्ते वाराणसी पहुंचा है और अगले 1-2 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा।
UP News: पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
गंगोत्री क्रूज के संचालन से काशी में एडवेंचर टूरिज्म को नया आयाम मिलने की उम्मीद है। यह क्रूज न केवल स्थानीय पर्यटकों, बल्कि देश-विदेश से आने वाले सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को करीब से अनुभव करने का यह अनूठा अवसर पर्यटकों को उपलब्ध कराएगा।