
‘एक देश, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मिली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी : जानें प्रमुख बिंदु
देश में चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की तैयारी
‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की दिशा में कदम बढ़ाना है, ताकि चुनावों में लगने वाली वित्तीय लागतों को कम किया जा सके।
प्रस्ताव के मुख्य बिंदु:
खर्चों में कमी
- एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्चों में महत्वपूर्ण कटौती संभव है।
- समर्थकों का मानना है कि इससे चुनावी प्रक्रिया की गति और कुशलता में भी सुधार होगा।
विपक्ष का विरोध
- विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है, यह दावा करते हुए कि इससे लोकतंत्र पर प्रभाव डालने की संभावना है।
2034 में हो सकती है व्यवस्था लागू
- इस प्रस्ताव के तहत, ‘एक देश, एक चुनाव’ का वास्तविक कार्यान्वयन 2034 में किया जाएगा।
- प्रस्ताव के मुताबिक, 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद की स्थिति के आधार पर यह तय किया जाएगा।
विधेयक में संशोधन प्रस्ताव:
नए अनुच्छेद 82ए का समावेश:
- लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के साथ-साथ
- अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि),
- अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि),
- अनुच्छेद 327 में आवश्यक संशोधन किया जाएगा।
अधिसूचना की प्रक्रिया:
- जब विधेयक कानून बनेगा, तब आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख पर राष्ट्रपति की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी।
- इस अधिसूचना की तारीख को ‘नियत तिथि’ माना जाएगा।
मध्यावधि चुनावों के विशेष प्रावधान:
- यदि किसी विधानसभा या लोकसभा को उसके कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है, तो चुनाव सिर्फ बचे हुए कार्यकाल की अवधि के लिए होंगे।
- यह सुनिश्चित करेगा कि केंद्र और राज्यों में चुनावों का समयसारणी हर परिस्थिति में एक साथ निर्धारित रहेगा।
सरकार की योजना के तहत यह प्रस्ताव देश में चुनावी खर्चों को कम करने के साथ-साथ लोकतंत्र की प्रक्रिया को अधिक सुसंगत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
Discover more from ASIAN NEWS BHARAT - Voice of People
Subscribe to get the latest posts sent to your email.