RBI के FD नियमों में बदलाव (1 जनवरी से)
1 जनवरी 2024 से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (HFC) के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य वित्तीय संस्थाओं की पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाना है। आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में:
1. डिपॉजिट लेने के नियमों में बदलाव:
- RBI ने NBFCs और HFCs के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट लेने के नियमों को सख्त कर दिया है। इन कंपनियों को अपनी डिपॉजिट शर्तों के बारे में अधिक पारदर्शिता दिखानी होगी और निवेशकों को सही जानकारी प्रदान करनी होगी।
- इन कंपनियों को डिपॉजिट लेने से पहले RBI से अनुमति प्राप्त करनी होगी और अपनी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करके निवेशकों के लिए सुरक्षित डिपॉजिट ऑप्शंस उपलब्ध करानी होगी।
2. लिक्विड असेट्स रखने का प्रतिशत:
- RBI ने NBFCs और HFCs को अपने कुल डिपॉजिट का एक निश्चित प्रतिशत लिक्विड असेट्स (जैसे नकदी या सरकारी बॉंड) के रूप में रखना अनिवार्य किया है। यह कदम इन कंपनियों को वित्तीय संकट से बचाने के लिए है, ताकि वे अपने निवेशकों को समय पर भुगतान कर सकें।
- इससे निवेशकों को अधिक सुरक्षा मिलेगी, क्योंकि कंपनियां लिक्विडिटी संकट से बचने के लिए पहले से तैयार रहेंगी।
3. डिपॉजिट का बीमा:
- RBI ने कंपनियों को अपने फिक्स्ड डिपॉजिट का बीमा कराने के लिए एक नई नीति लागू की है। पहले यह बीमा राशि सीमित थी, लेकिन अब इसे बढ़ाने की योजना है।
- यह कदम निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाएगा और अगर किसी कारणवश कंपनी वित्तीय संकट का सामना करती है, तो बीमा राशि से निवेशकों को कुछ सुरक्षा मिल सकेगी।
4. निवेशकों के लिए फायदे:
- इन नए नियमों से निवेशकों को अधिक सुरक्षा मिलेगी। अब, NBFCs और HFCs को अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत और पारदर्शी बनाना होगा, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
- लिक्विडिटी संकट से बचाव के लिए कंपनियां अपने पास पर्याप्त नकदी या लिक्विड असेट्स रखेंगी, ताकि वे निवेशकों को समय पर भुगतान कर सकें।
इन बदलावों के साथ, अब NBFCs और HFCs के फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने वाले लोग ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे, क्योंकि कंपनियों को अपनी वित्तीय स्थिति का प्रबंधन पारदर्शी और जिम्मेदारी से करना होगा।
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