
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह अप्रैल 2025 में यह तय करेगा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दी गई गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने की शक्तियों से संबंधित 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है या नहीं। यह मामला न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष आया, जहां पीठ ने बताया कि यह मुद्दा मूल रूप से तीन न्यायाधीशों की बेंच को सुनना था, लेकिन तकनीकी चूक के कारण इसे दो न्यायाधीशों की पीठ के सामने सूचीबद्ध कर दिया गया।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के विचार से सहमति जताते हुए सुझाव दिया कि सुनवाई अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में निर्धारित की जाए। वहीं, याचिकाकर्ताओं का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि तीन न्यायाधीशों की पीठ को जल्द से जल्द इसकी सुनवाई करनी चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने स्पष्ट किया कि मामले को प्रशासनिक रूप से तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया था और आश्चर्य जताया कि यह गलती से उनके सामने कैसे आया। उन्होंने कहा, “हम सुनवाई के लिए एक निश्चित तारीख देंगे, लेकिन यह अप्रैल के अंत से पहले संभव नहीं होगी।”
यह मामला 27 जुलाई 2022 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें ईडी की पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, तलाशी और संपत्ति कुर्क करने की शक्तियों को वैध ठहराया गया था। अगस्त 2022 में कोर्ट ने इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिका को स्वीकार किया था, जिसमें ईसीआईआर न देना और निर्दोषता की धारणा को उलटने जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए गए थे। अब इस महत्वपूर्ण मामले पर नजरें अप्रैल 2025 पर टिकी हैं।
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