
सुकमा : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के राजमुंडा गाँव की पायल ने अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपने गाँव बल्कि पूरे बस्तर का नाम रोशन कर दिया। बस्तर ओलंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर पायल ने साबित कर दिया कि प्रतिभा और अनुशासन के साथ कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है।
प्रधानमंत्री की सराहना से बढ़ी पायल की खुशी
देश के प्रधानमंत्री ने पायल की तारीफ करते हुए कहा, “मेहनत और अनुशासन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।” यह शब्द सुनकर पायल के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी। प्रधानमंत्री की सराहना ने पायल के आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया और पूरे सुकमा जिले को गर्व महसूस कराया।
असाधारण सफर की कहानी
- पहली बार भाला फेंका: पायल ने इससे पहले कभी भाला फेंकने की कोशिश नहीं की थी, लेकिन बस्तर ओलंपिक में अपने पहले ही प्रयास में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया।
- कठिन परिस्थितियों में सफलता: पायल अपनी माँ के साथ अकेली रहती हैं। साधारण परिवार से आने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह उपलब्धि हासिल की।
बस्तर की प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा
पायल की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि बस्तर जैसे क्षेत्र में भी अपार प्रतिभा है, जिसे सही मौके और प्रोत्साहन की जरूरत है। उनकी जीत ने सुकमा और पूरे बस्तर के युवाओं को प्रेरित किया है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करें।
स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर खुशी
पायल की इस सफलता ने न केवल उनके गाँव बल्कि पूरे राज्य में खुशी की लहर दौड़ा दी है। अब पूरे देश में सुकमा और बस्तर की चर्चा हो रही है।पायल की कहानी संघर्ष, मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में भी बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं। पायल की यह उपलब्धि बस्तर के युवाओं के लिए एक नया अध्याय लिखने जैसा है।