रायपुर। छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या ने वन विभाग को नई चुनौतियों के सामने खड़ा कर दिया है। राज्य में अब केवल 17 बाघ बचे हैं, और उनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग ने एक नई योजना का प्रस्ताव तैयार किया है। इस योजना के तहत बाघों की निगरानी और सुरक्षा के लिए स्निफर डॉग्स का उपयोग किया जाएगा। हालांकि, यह कदम चर्चा और बहस का विषय बन गया है।
सर्किल स्तर पर डॉग स्क्वायड की तैनाती
वन विभाग ने प्रत्येक सर्किल स्तर पर एक-एक डॉग स्क्वायड तैनात करने का प्रस्ताव तैयार किया है। राज्य में छह सर्किल (दुर्ग, जगदलपुर, बिलासपुर, कांकेर, सरगुजा और रायपुर) हैं, जहां इन स्क्वायड की स्थापना की जाएगी। इन स्निफर डॉग्स का उपयोग वनों और वन्यप्राणियों से संबंधित अपराधों की जांच और अपराधियों की पहचान के लिए किया जाएगा।
वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने सभी सर्किलों से एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है। यह प्रस्ताव “वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (WWF इंडिया)” को भेजा जाएगा, ताकि आवश्यक मंजूरी मिलने पर जनवरी 2025 से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जा सके।
स्निफर डॉग्स की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में छत्तीसगढ़ वन विभाग के पास चार स्निफर डॉग्स हैं, जिनमें कांकेर और रायपुर के जंगल सफारी में जर्मन शेफर्ड नस्ल के “रोजी” और “वीरा” तैनात हैं। गोमर्दा में बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के “जूली” और “जेस्सी” हैं। इनके अलावा, पहले तैनात स्निफर डॉग्स “सिम्बा” और “नेरो” ने 22 केस सुलझाए थे, जिसमें 98 अपराधियों को पकड़ा गया था। इन दोनों डॉग्स ने 2023-24 में सेवा से रिटायरमेंट ले ली और बाद में इनकी मृत्यु हो गई।
योजनाओं पर सवाल और चुनौतियां
वन विभाग के इस नए प्रस्ताव को लेकर विशेषज्ञों और पर्यावरण प्रेमियों के बीच बहस छिड़ गई है। छत्तीसगढ़ में इससे पहले भी कई योजनाएं बनाई गई थीं, जैसे “जामवंत योजना” और “मधुमक्खी पालन योजना,” जो नाकाम साबित हुईं। इस कारण स्निफर डॉग योजना की सफलता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञ नितिन सिंघवी ने सुझाव दिया कि स्निफर डॉग्स को रिटायरमेंट के बाद पेंशन दी जाए, ताकि उनके खाने-पीने और दवाई का खर्च पूरा हो सके।
वन विभाग की प्रतिक्रिया
प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) सुधीर अग्रवाल का कहना है,
“वन्यप्राणियों और जंगलों की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। डॉग स्क्वायड की स्थापना के प्रस्ताव मंगाए गए हैं, ताकि अपराधियों को पकड़ने और वन्यजीव संरक्षण में सहायता मिल सके।”
वन्यप्रेमियों की राय
वन्यजीव प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता इस योजना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ इसे सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि विभाग को बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए प्राकृतिक उपायों और जागरूकता पर जोर देना चाहिए।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ वन विभाग का स्निफर डॉग योजना एक अनूठा कदम है, जो राज्य के बचे हुए 17 बाघों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का प्रयास है। हालांकि, इस योजना की सफलता इसके सही कार्यान्वयन और दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर निर्भर करेगी। बाघों की घटती संख्या न केवल एक पर्यावरणीय संकट है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की भी परीक्षा है।
वन विभाग के लिए यह जरूरी है कि वे इस योजना को केवल कागजी पहल बनाकर न छोड़ें, बल्कि इसे व्यावहारिक और परिणामोन्मुख बनाएं।
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